इतिहास: ग्रामीण क्षेत्र पर शासन MCQ | Class 8 SST History Ch 3

प्रश्न 1 / 25

Class 8 Social Science Chapter 3 Objective Questions in Hindi

प्रिय छात्रों, यहाँ कक्षा 8 इतिहास अध्याय 3 “ग्रामीण क्षेत्र पर शासन” के लिए ऑनलाइन MCQ टेस्ट प्रस्तुत है। यह क्विज़ राजस्व-व्यवस्थाओं, नकदी-फसलों और ग्रामीण समाज-आर्थिक ढाँचे को समझने में सहायक है।

इस ऑनलाइन टेस्ट में, निम्नलिखित विषयों से संबंधित objective questions मिलेंगे:

  • स्थायी बंदोबस्त, रैयतवारी और महालवारी—उद्देश्य, ढाँचा और प्रभाव
  • राजस्व-आकलन, सर्वे/सेटलमेंट, किरायेदारी और जमींदारी संबंध
  • नील की खेती, बंधपत्र, कीमत-शोषण और नील-विद्रोह
  • नकदी फसल दबाव, खाद्य सुरक्षा, साहूकारी और ग्रामीण बाज़ार संपर्क
  • फसली विविधीकरण, समुदाय-आधारित उत्तरदायित्व और कृषि-जोखिम प्रबंधन

सभी 25 प्रश्नों के उत्तर दें और अंत में अपना स्कोर देखकर तैयारी का विश्लेषण करें। व्याख्या पढ़ना न भूलें—गलतियों से सीख मजबूत होती है। शुभकामनाएँ!


स्थायी बंदोबस्त (1793) किसके साथ लागू हुआ?

जमींदारों से निश्चित वार्षिक लगान तय कर राजस्व स्थिरता का प्रयास था।

स्थायी बंदोबस्त का घोषित उद्देश्य था:

बदलते उपज/कीमत से अलग राज्य आय सुनिश्चित करना लक्ष्य था।

रैयतवारी पद्धति में कर किससे वसूला जाता था?

राज्य और किसान के बीच प्रत्यक्ष कर संबंध स्थापित था।

महालवारी पद्धति का आधार था:

गाँव/महाल को कर-इकाई मानकर राजस्व आकलन किया गया।

स्थायी बंदोबस्त की प्रमुख आलोचना क्या रही?

कई जमींदार किरायेदारों से वसूली बढ़ाते पर भूमि-सुधार कम करते थे।

रैयतवारी किस क्षेत्र में व्यापक हुई?

दक्षिण और पश्चिम के बड़े भागों में रैयतवारी व्यवस्था दिखी।

नील की खेती को बढ़ाने की औपनिवेशिक वजह क्या थी?

टेक्सटाइल उद्योग को सस्ते नीले रंग की निरंतर आपूर्ति चाहिए थी।

नीलविद्रोह (1859–60) का मूल कारण:

किसानों पर अनुचित अनुबंध और कम कीमत थोपे जाते थे।

महालवारी में आकलन किस आधार पर होता था?

राजस्व निर्धारण में उपज/उत्पादकता का आकलन किया जाता था।

स्थायी बंदोबस्त में जमींदार असफल रहे तो दंड क्या?

लक्ष्य न चुकाने पर जमींदारी नीलाम की जाती थी।

रैयतवारी की एक समस्या:

प्रतिवर्ष आकलन से कर-अनिश्चितता बनी रहती थी।

किसानों पर ‘टकसाल’ का क्या अर्थ था?

नकदी की कमी में किसान साहूकार पर निर्भर हुए।

नील की जगह बाद में किस से रंगाई होने लगी?

सस्ते कृत्रिम रंगों के आने से प्राकृतिक नील की मांग घटी।

भूमि-मालिकी और किरायेदारी का संबंध किस व्यवस्था में जटिल हुआ?

मालिकाना जमींदारों और किरायेदारों के हित टकराते रहे।

ग्राम-व्यवस्था में ‘पंच/मुंखिया’ की भूमिका क्या थी?

स्थानीय प्रशासन में पंचायती/मालगुज़ारी ढाँचे की भूमिका रही।

कृषि-विस्तार में किस इंफ्रास्ट्रक्चर ने मदद की?

रेल से अनाज/नकदी फसलों का बाज़ार-सम्पर्क बढ़ा।

नील/नकदी-फसल दबाव का एक असर:

नकदी फसलों के विस्तार से खाद्यान्न क्षेत्र सिकुड़ सकता था।

रैयतवारी में ‘सर्वे और सेटलमेंट’ क्यों ज़रूरी थे?

भूमि-मानचित्रण और गुणवत्ता वर्गीकरण पर राजस्व तय होता था।

कौन-सी व्यवस्था सामुदायिक ज़िम्मेदारी पर आधारित थी?

महाल/ग्राम इकाई के रूप में सामुदायिक उत्तरदायित्व तय था।

किस कारण किसान साहूकार पर निर्भर हुए?

कृषि जोखिम और कर-नकदी दबाव से उधारी बढ़ी।

‘नील दर्पण’ नाटक किसने लिखा और किसका प्रभाव था?

नाटक ने नील कृषकों की पीड़ा को उभारा।

स्थायी बंदोबस्त की एक अपेक्षित लेकिन सीमित उपलब्धि:

राज्य आय स्थिर हुई पर कृषि निवेश/किसान कल्याण कम रहा।

‘मालगुज़ार’ किसे कहते थे?

स्थानीय स्तर पर कर-संग्रह की भूमिका निभाता था।

फसली विविधीकरण का लाभ क्या है?

मिश्रित/चक्रण से पोषक-चक्र सुधरता और जोखिम घटता है।

किस व्यवस्था ने जमींदारों का नया वर्ग खड़ा किया?

जमींदारों को केंद्रीभूत अधिकार देकर नया भू-स्वामी वर्ग उभरा।

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