इतिहास: आदिवासी, दिकू और एक स्वर्ण युग की कल्पना MCQ | Class 8 SST History Ch 4

प्रश्न 1 / 25

Class 8 Social Science Chapter 4 Objective Questions in Hindi

प्रिय छात्रों, यहाँ कक्षा 8 इतिहास अध्याय 4 “आदिवासी, दिकू और एक स्वर्ण युग की कल्पना” के लिए ऑनलाइन MCQ टेस्ट प्रस्तुत है। यह क्विज़ आदिवासी आजीविका, झूम खेती, वन-नीतियाँ, दिकू हस्तक्षेप और बिरसा उलगुलान जैसे विषयों पर केंद्रित है।

इस ऑनलाइन टेस्ट में, निम्नलिखित विषयों से संबंधित objective questions मिलेंगे:

  • झूम/शिकार-संग्रह, मवेशी-पालन और मौसमी आजीविका चक्र
  • औपनिवेशिक वन-नीतियाँ, संसाधन-पहुंच सीमाएँ और ठेका/मोनोपॉली
  • दिकू (व्यापारी/साहूकार/अधिकारी) हस्तक्षेप और ऋण-निर्भरता
  • बिरसा मुंडा और उलगुलान—सुधार, प्रतिरोध और अधिकार विमर्श
  • प्रवास (खदान/बागान), स्थायी/राजस्व कृषि में धकेलने के प्रभाव

सभी 25 प्रश्नों के उत्तर दें और अंत में अपना स्कोर देखकर तैयारी का विश्लेषण करें। व्याख्या पढ़ना न भूलें—गलतियों से सीख मजबूत होती है। शुभकामनाएँ!


‘दिकू’ शब्द का अर्थ क्या था?

आदिवासी समाज में दखल देने वाले बाहरी तत्वों को ‘दिकू’ कहा जाता था।

झूम खेती का मूल लक्षण क्या है?

झूम खेती में भूमि कुछ वर्षों बाद छोड़ कर अन्य क्षेत्र में चली जाती है।

औपनिवेशिक वन-नीतियों का आदिवासियों पर बड़ा प्रभाव क्या पड़ा?

आरक्षित/संरक्षित जंगलों से पारंपरिक उपयोग पर पाबंदियाँ लग गईं।

आदिवासी ‘शिकार-संग्रह’ अर्थ-व्यवस्था का एक गुण:

ऋतु और उपलब्धता के अनुसार आजीविका बदली जाती थी।

‘बिरसा’ किस क्षेत्रीय आंदोलन से जुड़े हैं?

बिरसा मुंडा ने अन्याय, बेगारी और दिकुओं के विरुद्ध जन-चेतना जगाई।

आदिवासी मुखियाओं की शक्ति में औपनिवेशिक दौर में क्या बदलाव हुआ?

परंपरागत अधिकार घटे और औपनिवेशिक नियम लागू हुए।

बागान/खदानों में आदिवासियों का प्रवास क्यों बढ़ा?

वन-नीतियाँ व कर दवाब से मज़दूरी/प्रवास बढ़ा।

झूम छोड़कर स्थायी खेती की ओर धकेलने का एक प्रभाव:

राजस्व-आधारित कृषि में कागज़ी/कानूनी बंधन बढ़े।

दिकुओं में अक्सर किसका समावेश माना गया?

उधार-व्यापार संबंधों से शोषण की शक़लें उभरीं।

मूल वन-उत्पादों में आदिवासी आय का एक स्रोत क्या था?

वन-अपजों के संग्रह/विक्रय से आय मिलती थी।

औपनिवेशिक कर-व्यवस्था का आदिवासी कृषि पर प्रभाव:

नकद लगान से साहूकारी पर निर्भरता बढ़ी।

‘उलगुलान’ का अर्थ किस संदर्भ में लिया गया?

मुण्डा क्षेत्र के जागरण/प्रतिरोध को उलगुलान कहा गया।

झूम कृषि का एक लाभ क्या था?

कई किस्मों से खाद्य/जोखिम संतुलन मिलता था।

वन-रक्षकों/ठेकेदारों का स्थानीय समाज पर प्रभाव:

वन कानूनों के क्रियान्वयन में दुरुपयोग की शिकायतें रहीं।

आदिवासी धार्मिक-सामाजिक सुधार की एक दिशा बिरसा ने क्या सुझाई?

नैतिक-सामाजिक सुधार से सामुदायिक शक्ति बढ़ी।

दिकुओं के प्रति आक्रोश का एक आर्थिक कारण:

सूदखोरी/ठेका संबंधों से शोषण बढ़ा।

किस खान/बागान क्षेत्रों में आदिवासी प्रवास ऐतिहासिक रूप से दर्ज है?

असम/बिहार-झारखंड बेल्ट में भर्ती प्रवाह देखा गया।

झूम पर पाबंदी का तर्क क्या दिया गया?

औपनिवेशिक प्रशासन ने स्थायी खेत को कारगर माना।

आदिवासी आजीविका में ‘मवेशी-पालन’ की भूमिका:

मवेशी बहु-आर्थिक उपयोगिता रखते थे।

बिरसा आंदोलन का दीर्घकालीन असर:

राजनीतिक-सामाजिक चेतना का विस्तार हुआ।

ठेका-प्रणाली से आदिवासी क्यों असंतुष्ट हुए?

उत्पाद/श्रम का उचित मूल्य नहीं मिलता था।

वन-उत्पाद पर एकाधिकार का परिणाम:

लाइसेंस/मोनोपॉली से स्वायत्त व्यापार सीमित रहा।

झूम-समर्थन का एक तर्क:

परंपरागत ज्ञान से संसाधन चक्र के साथ तालमेल बैठता है।

आदिवासी राजनीतिक आंदोलनों की समान विशेषता:

आंदोलन बुनियादी आजीविका/अधिकार प्रश्नों से जुड़े थे।

‘दिकू’ के प्रति वैचारिक प्रतिक्रिया का एक रूप:

सामुदायिक संगठन से शोषण-प्रतिरोध मजबूत हुआ।

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