अक्सर आपने अखबारों और टीवी चैनलों पर बड़े-बड़े घोटालों और हाई-प्रोफाइल केस में ED (ईडी) का नाम सुना होगा। पिछले कुछ समय से अपने काम की वजह से यह विभाग लगातार चर्चा में है। लेकिन ये ED क्या है? यह कैसे काम करती है, और यह CBI से कैसे अलग है?
आज हम ED यानी प्रवर्तन निदेशालय की दुनिया को आसान भाषा में समझेंगे।
ED क्या है? (What is Enforcement Directorate?)
- ED Full Form: Directorate of Enforcement
- ED का फुल फॉर्म हिंदी में: प्रवर्तन निदेशालय
प्रवर्तन निदेशालय: एक नजर में
सरल शब्दों में, ED भारत सरकार की एक बहुत ही शक्तिशाली और खुफिया वित्तीय जांच एजेंसी है। यह भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन काम करती है। इसका मुख्य काम भारत की आर्थिक सुरक्षा को मजबूत करना और आर्थिक अपराधों पर लगाम लगाना है।
ED के अधिकार और शक्तियां
ED को दो मुख्य कानूनों से असीमित शक्तियां मिलती हैं - FEMA और PMLA। इन कानूनों के तहत, ED के पास कई बड़े अधिकार होते हैं:
जांच और पूछताछ
किसी भी व्यक्ति या संस्था को समन भेजकर वित्तीय लेनदेन के बारे में पूछताछ करने का अधिकार।
तलाशी और जब्ती
अपराध से संबंधित सबूत इकट्ठा करने के लिए किसी भी परिसर की तलाशी लेने और दस्तावेजों को जब्त करने का अधिकार।
गिरफ्तारी
मनी लॉन्ड्रिंग (PMLA) के तहत दोषी पाए जाने पर बिना वारंट के गिरफ्तारी करने की शक्ति।
संपत्ति कुर्की
अपराध की आय से बनाई गई संपत्ति को अस्थायी रूप से जब्त (कुर्क) करने का अधिकार।
ED कैसे काम करता है? (Case Spotlights)
ED का काम बहुत सीधा और स्पष्ट है: पैसे के गलत इस्तेमाल को रोकना। आइए देखते हैं कि ED मुख्य रूप से किन मामलों की जांच करता है।
यह ED का सबसे मुख्य काम है। सरल शब्दों में, इसका मतलब है अवैध तरीके से कमाए गए काले धन (Black Money) को कानूनी (White) बनाकर बैंकिंग सिस्टम में लाना। ED यह जांच करती है कि पैसा कहाँ से आया और इसे कैसे छिपाया गया। यह जांच PMLA (Prevention of Money Laundering Act), 2002 के तहत की जाती है।
FEMA (Foreign Exchange Management Act), 1999 विदेशी मुद्रा के लेनदेन को नियंत्रित करता है। अगर कोई व्यक्ति या कंपनी बिना अनुमति के विदेशी मुद्रा का व्यापार करती है, विदेश में अवैध रूप से संपत्ति खरीदती है, या हवाला के जरिए पैसों का लेनदेन करती है, तो ED उस मामले की जांच करती है।
विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे मामलों के बाद, सरकार ने FEOA (Fugitive Economic Offenders Act), 2018 बनाया। इस कानून के तहत, ED उन आर्थिक अपराधियों की संपत्तियों को जब्त कर सकती है जो कानूनी कार्यवाही से बचने के लिए देश छोड़कर भाग गए हैं।
ED में करियर कैसे बनाएं?
कई लोगों को लगता है कि ED में सिर्फ IAS और IPS अधिकारी ही काम करते हैं, लेकिन यह पूरी सच्चाई नहीं है। ED में शामिल होने के दो मुख्य रास्ते हैं:
- प्रतिनियुक्ति (Deputation): ED के अधिकांश वरिष्ठ अधिकारी भारतीय राजस्व सेवा (IRS), भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), और भारतीय पुलिस सेवा (IPS) से प्रतिनियुक्ति पर आते हैं। वे अपने मूल कैडर में कुछ साल सेवा देने के बाद ED में शामिल होते हैं।
- सीधी भर्ती (Direct Recruitment): ED में असिस्टेंट एनफोर्समेंट ऑफिसर (AEO) जैसे महत्वपूर्ण पदों पर सीधी भर्ती भी होती है। यह भर्ती SSC CGL परीक्षा के माध्यम से की जाती है। कोई भी ग्रेजुएट छात्र जो CGL की परीक्षा पास करता है, वह इस पद के लिए चुना जा सकता है। इसके लिए एक मजबूत विश्लेषणात्मक दिमाग, वित्त की समझ और पूरी ईमानदारी की आवश्यकता होती है।
ED और CBI में मुख्य अंतर
यह एक ऐसा सवाल है जो अक्सर लोगों को भ्रमित करता है। दोनों ही देश की शीर्ष जांच एजेंसियां हैं, लेकिन उनके काम करने का दायरा बिल्कुल अलग है।
Case File: ED
मुख्य फोकस: आर्थिक और वित्तीय अपराध।
- ✔ मनी लॉन्ड्रिंग (काले धन को सफेद करना)।
- ✔ विदेशी मुद्रा कानून (FEMA) का उल्लंघन।
- ✔ आय से अधिक संपत्ति (वित्तीय एंगल)।
- ✔ देश से भागे आर्थिक अपराधी।
Case File: CBI
मुख्य फोकस: भ्रष्टाचार और गंभीर अपराध।
- ✔ भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के मामले।
- ✔ हत्या, अपहरण जैसे गंभीर आपराधिक मामले।
- ✔ बड़े घोटाले (जैसे 2G, कोलगेट)।
- ✔ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय अपराध।
सरल उदाहरण: मान लीजिए किसी नेता पर ₹100 करोड़ का घोटाला करने का आरोप है।
- CBI इस बात की जांच करेगी कि घोटाला कैसे किया गया, इसमें कौन-कौन शामिल थे, और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मामला दर्ज करेगी।
- ED इस बात की जांच करेगी कि घोटाले का ₹100 करोड़ कहाँ है, उसे कैसे छिपाया गया (मनी लॉन्ड्रिंग), और उस पैसे से खरीदी गई संपत्तियों को जब्त करेगी।
अंत में, प्रवर्तन निदेशालय (ED) भारत की आर्थिक व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण प्रहरी है। यह सुनिश्चित करता है कि देश की वित्तीय प्रणाली साफ-सुथरी रहे और आर्थिक अपराधी कानून के शिकंजे से बच न पाएं। यही कारण है कि भारत सरकार ने इसे इतने व्यापक अधिकार दिए हैं।