आज के इस कंप्यूटर अनुकूल युग में कंप्यूटर से मिलती जुलती बहुत सी नौकरी आ रही है। इस नई टेक्नोलॉजी से जुड़ने को लेकर विद्यार्थियों के मन में भी बहुत सारी इच्छाएं और रूचि होती है। कंप्यूटर से संबंधित कोर्स जैसे सॉफ्टवेयर इंजीनियर, सॉफ्टवेयर डेवलपर्स, और वेब डेवलपर्स काफी चुने जाते हैं। सॉफ्टवेयर इंजीनियर के बारे में तो आपने काफी सुना होगा लेकिन आज हम Software Developer Career के बारे में विस्तार से जानेंगे।
सॉफ्टवेयर डेवलपर क्या होता है?
सॉफ्टवेयर डेवलपर कंप्यूटर में मैनूफेक्शियस के लिए काम करते हैं। इनका मुख्य कार्य ऑपरेटिंग सिस्टम की फाउंडेशन को तैयार करना और नए सिस्टम और सॉफ्टवेयर की ताकत को और बढ़ाना होता है। एक अच्छा सॉफ्टवेयर डेवलपर किसी भी एप्लीकेशन को बनाने से पहले अपने ग्राहकों या कंपनी की जरूरतों को समझता है और फिर उन चीजों को ध्यान में रखकर एक नया सॉफ्टवेयर प्रोग्राम बनाता है।
सॉफ्टवेयर डेवलपर कई प्रकार के होते हैं, जैसे: सिस्टम डेवलपर, फ्रंट-एंड डेवलपर, बैकएंड डेवलपर, फुल स्टैक डेवलपर, और एंड्राइड डेवलपर। हर डेवलपर का अपना एक खास क्षेत्र होता है।
सॉफ्टवेयर डेवलपर और इंजीनियर में क्या अंतर है?
अक्सर लोग इन दोनों शब्दों को एक ही समझ लेते हैं, लेकिन इनमें एक महत्वपूर्ण अंतर है। असल में, software डेवलपर सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग का ही एक भाग है। सॉफ्टवेयर इंजीनियर में सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के अलावा भी कई चीजें होती है जैसे टेस्टिंग, प्लानिंग, आर्किटेक्चर डिजाइन वगैरा-वगैरा। वहीं सॉफ्टवेयर डेवलपर का फोकस सिर्फ सॉफ्टवेयर की डेवलपमेंट यानी कोड लिखने पर ही केंद्रित होता है।
- सॉफ्टवेयर इंजीनियर (Software Engineer): ये इंजीनियरिंग के सिद्धांतों का उपयोग करके सॉफ्टवेयर सिस्टम को डिजाइन, विकसित और टेस्ट करते हैं। इनका काम बड़े पैमाने पर होता है और ये पूरे सिस्टम की नींव रखते हैं। वे एक व्यवस्थित और अनुशासित दृष्टिकोण अपनाते हैं।
- सॉफ्टवेयर डेवलपर (Software Developer): ये मुख्य रूप से कोड लिखने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। वे सॉफ्टवेयर इंजीनियर द्वारा बनाए गए डिजाइन और प्लान के आधार पर वास्तविक सॉफ्टवेयर, एप्लीकेशन और प्रोग्राम बनाते हैं। डेवलपर का काम इंजीनियर के काम का एक हिस्सा होता है, लेकिन बहुत रचनात्मक और महत्वपूर्ण होता है।
संक्षेप में, एक इंजीनियर पूरी इमारत का नक्शा बनाता है, जबकि एक डेवलपर उस नक्शे के आधार पर ईंटें लगाकर दीवारें खड़ी करता है।
एक सफल डेवलपर बनने के लिए जरूरी स्किल्स
सॉफ्टवेयर डेवलपर बनने के लिए सिर्फ डिग्री काफी नहीं है, आपके पास कुछ महत्वपूर्ण स्किल्स भी होनी चाहिए। एक रिसर्च के अनुसार ज्यादातर कंपनी आप की डिग्री से ज्यादा आपका लाइव स्किल टेस्ट लेने में विश्वास रखती हैं। जिससे वह देखते हैं कि आप आईटी इंडस्ट्री में कितनी समझ रखते हैं।
कोडिंग और एल्गोरिदम
प्रोग्रामिंग की मजबूत समझ, जिसमें कोड स्ट्रक्चर, डेटाबेस और कुशल एल्गोरिदम शामिल हैं।
लॉजिकल थिंकिंग
जटिल समस्याओं को छोटे-छोटे हिस्सों में तोड़ने और उनका तार्किक समाधान खोजने की क्षमता।
जिज्ञासा और सीखना
नई टेक्नोलॉजी के प्रति जिज्ञासु होना और लगातार सीखते रहने की आदत ही आपको आगे बढ़ाएगी।
कम्युनिकेशन स्किल्स
अपने विचारों और तकनीकी समाधानों को टीम के अन्य सदस्यों और ग्राहकों को स्पष्ट रूप से समझाना।
स्किल्स का गहरा विश्लेषण
टेक्निकल स्किल्स (Technical Skills)
- कंप्यूटर प्रोग्रामिंग / कोडिंग: यह सबसे मुख्य चीज है। आपको कम से कम एक प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की गहरी समझ होनी चाहिए।
- डाटा स्ट्रक्चर एंड एल्गोरिथम (DS&A): अभी आपके लिए इसे समझना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन जब आप सॉफ्टवेयर कोर्स करते हैं तो यह एक बहुत महत्वपूर्ण सब्जेक्ट होता है। जब भी आप किसी अच्छी कंपनी में इंटरव्यू के लिए जाते हैं, तो डाटा स्ट्रक्चर एंड एल्गोरिथम से सबसे ज्यादा प्रश्न पूछे जाते हैं। तो जब भी आप अपना कोर्स शुरू करें, तो DS&A पर अपनी पकड़ मजबूत रखें।
- अन्य जरूरी विषय: इनके अलावा भी कुछ विषय हैं जिनकी जानकारी आपको होनी चाहिए:
- डेटाबेस (Database Management)
- ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating Systems)
- सॉफ्टवेयर टेस्टिंग (Software Testing)
- कंप्यूटर नेटवर्किंग (Computer Networking)
- स्टैटिसटिक्स एंड मैथमेटिक्स (Statistics & Mathematics)
सॉफ्ट स्किल्स (Soft Skills)
सॉफ्ट स्किल्स वह स्किल्स होती है जिसके माध्यम से आप इंटरव्यू के दौरान और टीम में काम करते हुए एक अच्छी छवि बनाते हैं। सच कहूँ तो, आपकी कोडिंग कितनी भी अच्छी क्यों न हो, अगर आप अपनी बात ठीक से समझा नहीं सकते, तो टीम में काम करना बहुत मुशकिल हो जाता है।
- कम्युनिकेशन स्किल्स (Communication Skills): इसमें आपकी इंग्लिश काफी अच्छी होनी चाहिए। हालांकि किसी चीज को समझाने के लिए भाषा निर्भर नहीं करती, लेकिन कई बार आपको इंटरनेशनल क्लाइंट्स के साथ काम करना होता है। ऐसे में इंग्लिश भाषा की समझ अच्छी होनी चाहिए।
- लॉजिकल थिंकिंग एंड प्रॉब्लम सॉल्विंग: कंप्यूटर प्रोग्रामिंग में छोटी से छोटी गलती भी पूरी मेहनत पर पानी फेर सकती है। एक अच्छा डेवलपर उस गलती को ढूंढकर उसे हल करने की क्षमता रखता है।
- जिज्ञासा (Curiosity): किसी भी प्रॉब्लम का हल निकालने के लिए आपका उसके प्रति जिज्ञासु होना बहुत ही जरूरी है। टेक्नोलॉजी हर दिन बदल रही है, और एक अच्छा डेवलपर हमेशा नई चीजें सीखने के लिए उत्सुक रहता है।
कौन-सी प्रोग्रामिंग भाषा सीखें?
एक सॉफ्टवेयर डेवलपर के लिए प्रोग्रामिंग लैंग्वेज सीखना सबसे जरूरी है। यहाँ कुछ लोकप्रिय भाषाएँ हैं जो आजकल इंडस्ट्री में खूब चल रही हैं।
Java
एंड्राइड ऐप्स, एंटरप्राइज-लेवल सॉफ्टवेयर
JavaScript
वेबसाइट और वेब ऐप्स को इंटरैक्टिव बनाने के लिए
Python
AI, मशीन लर्निंग, वेब डेवलपमेंट, डेटा साइंस
C++
गेम डेवलपमेंट, हाई-परफॉरमेंस कंप्यूटिंग
Ruby
वेब डेवलपमेंट (Ruby on Rails फ्रेमवर्क)
C Language
ऑपरेटिंग सिस्टम और सिस्टम सॉफ्टवेयर की नींव
सॉफ्टवेयर डेवलपर बनने का पूरा रास्ता
डेवलपर बनने के लिए सबसे पहले आपको 12वीं कक्षा पास करनी होगी जिसमें मैथ्स होना जरूरी है (PCM)। इसके बाद आपको बैचलर कोर्स करना होगा जोकि 3 से 4 साल के होते हैं।
सॉफ्टवेयर डेवलपर कोर्स
आप इनमे से कोई भी कोर्स चुन सकते हैं:
1. बीसीए (BCA - Bachelor of Computer Applications)
यह 3 साल का अंडरग्रेजुएट कोर्स है और यह उन बच्चों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है जिन्होंने 12वीं कक्षा आर्ट्स या कॉमर्स से पास की है (कुछ कॉलेज मैथ्स मांगते हैं)। इसमें आपको प्रोग्रामिंग, डेटाबेस, और डेटा स्ट्रक्चर्स का अच्छा ज्ञान मिलता है।
- फीस: लगभग 50,000 से 1.2 लाख सालाना तक हो सकती है।
- टॉप कॉलेज: सिम्बायोसिस इंस्टिट्यूट पुणे, क्राइस्ट यूनिवर्सिटी बैंगलोर, प्रेसिडेंसी कॉलेज बैंगलोर, LPU जालंधर, जैन यूनिवर्सिटी बेंगलुरु।
2. बीएससी कंप्यूटर साइंस (B.Sc. Computer Science)
यह भी 3 साल का अंडरग्रेजुएट कोर्स है, लेकिन यह सिर्फ साइंस स्ट्रीम के बच्चों (PCM) के लिए होता है। यह कोर्स BCA की तुलना में थोड़ा अधिक सैद्धांतिक (theoretical) होता है।
- फीस: लगभग 50,000 से 1 लाख प्रतिवर्ष तक हो सकती है।
- टॉप कॉलेज: दिल्ली यूनिवर्सिटी के कॉलेज (हंसराज), लोयोला कॉलेज चेन्नई, माउंट कारमेल कॉलेज बेंगलुरु, फर्ग्यूसन कॉलेज पुणे।
3. बी.टेक (B.Tech in CS/IT)
सॉफ्टवेयर डेवलपर की फील्ड में जाने का यह सबसे लोकप्रिय और प्रतिष्ठित कोर्स है। यह 4 साल का इंजीनियरिंग कोर्स होता है। इसमें आपको बहुत गहराई से सभी विषयों को पढ़ाया जाता है।
- फीस: यह कोर्स थोड़ा महंगा होता है, इसकी फीस 50,000 से लेकर 2.5 लाख प्रतिवर्ष तक हो सकती है।
- टॉप कॉलेज: सभी IITs, NITs, दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, SRM इंस्टिट्यूट चेन्नई, पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़।
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सॉफ्टवेयर डेवलपर की जॉब्स और सैलरी
बैचलर डिग्री लेने के बाद, आप मुख्य रूप से दो तरह के डेवलपर रोल्स में नौकरी ढूंढ सकते हैं। भारत में एक फ्रेशर सॉफ्टवेयर डेवलपर की शुरुआती सैलरी 3 लाख से 5 लाख प्रति वर्ष तक हो सकती है, जो अनुभव और स्किल के साथ तेजी से बढ़ती है।
System Developer
ये ऑपरेटिंग सिस्टम, नेटवर्क और कंप्यूटर के कोर सिस्टम की नींव तैयार और मैनेज करते हैं।
Application Developer
ये वो सॉफ्टवेयर और ऐप्स बनाते हैं जिन्हें हम और आप रोज इस्तेमाल करते हैं, जैसे मोबाइल ऐप्स और वेबसाइट्स।
अनुभव के साथ सैलरी कैसे बढ़ती है?
Software Developer के पास काफी करियर विकल्प रहते हैं। वह किसी कंपनी या व्यक्ति के लिए काम कर सकता है और साथ ही फ्रीलांसर के तौर पर भी काम कर सकता है।
- शुरुआती (0-1 साल): शुरुआती तौर पर आप 4 लाख सलाना कमा सकते हैं।
- मध्यम-अनुभवी (1-3 साल): 1 से 3 साल के अनुभव के बाद आप 7 लाख सलाना तक कमा सकते हैं।
- वरिष्ठ-अनुभवी (10+ साल): वही 10 साल के अनुभव के बाद आप 15-20 लाख प्रतिवर्ष या इससे ज्यादा भी कमा सकते हैं।
निष्कर्ष
तो अब आपको पता चल गया होगा कि सॉफ्टवेयर इंजीनियर और सॉफ्टवेयर डेवलपर में क्या अंतर होता है, और एक सफल डेवलपर बनने का रास्ता क्या है। इससे आप आसानी से यह तय कर सकते हैं कि आपको आगे भविष्य में क्या करना है।
लेकिन जब भी आप अपना करियर ऑप्शन चुनें तो अपनी रुचि को जरूर ध्यान में रखें कि आपको क्या करने में अच्छा लगता है। अगर आपको समस्याओं को सुलझाना, नई चीजें बनाना और टेक्नोलॉजी के साथ काम करना पसंद है, तो सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट आपके लिए एक शानदार भविष्य बना सकता है।