प्रवर्तन निदेशालय : आज हम बात करेंगे ईडी के बारे में कि ED kya hai और कैसे काम करती है और साथ ही जानेंगे कि ईडी और सीबीआई में क्या फर्क होता है। आपने न्यूज़ पेपर और टीवी चैनलों में यह देखा हुआ कि ज्यादातर हाई प्रोफाइल केस में ED का नाम लिया जाता है। तो पिछले कुछ समय से अपने काम की वजह से  ईडी डिपार्टमेंट मीडिया में छाया हुआ था। तो चलिए जानते हैं कि प्रवर्तन निदेशालय क्या है और प्रवर्तन निदेशालय का काम ?

ED kya hai | प्रवर्तन निदेशालय क्या है

ED full form  ” डायरेक्टरे इंफोर्समेंट  ( Directorate Enforcement ) ” और  ईडी का फुल फॉर्म हिंदी में ” प्रवर्तन निदेशालय ” होता है।

प्रवर्तन निदेशालय क्या है ? ( ED kya hai )

ईडी एक प्रकार की खुफिया जांच एजेंसी है। जो कि हमारे देश में वित्तीय-संबंधी अपराधियों पर नजर रखती है, मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच करती है और व्यक्ति की आय से अधिक संपत्ति की जांच और पूछताछ करती है।

दरअसल ईडी एक तरह की जांच एजेंसी है जो कि भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन काम करती है। मुख्य रूप से ईडी यानी डायरेक्टरेट इंफोर्समेंट का काम भारत और विदेश में पैसों से जुड़े काम पर नजर रखना होता है।

प्रवर्तन अधिकारी क्या है ?

ईडी के अंदर जो भी अधिकारी काम करते हैं उनका सिलेक्शन आईएएस (IAS), आईपीएस (IPS) रैंक के आधार पर होता है। किसी भी आर्थिक उथल-पुथल की स्थिति में ईडी की जिम्मेदारी होती है कि कि वह सही तरह से उस मामले की जांच करें और आर्थिक रूप से कानून लागू करने की शक्ति भी ईडी के पास होती है।

ईडी की स्थापना 1 मई 1956 को की गई थी और वर्तमान में एडी फेरा 1973 और फेमा 1999 के अंतर्गत काम करती  है। ईडी के मुख्य पांच मुख्यालय है इसकी सूची कुछ इस प्रकार है :

• मुंबई

• चंडीगढ़

• चेन्नई

• कोलकाता

• दिल्ली

ईडी का फुल फॉर्म डायरेक्टरेट इंफोर्समेंट होता है लेकिन इसे डायरेक्टरेट जनरल ऑफ इकनोमिक इंफोर्समेंट भी कहा जाता है।

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ईडी के अधिकार क्या है ?

प्रवर्तन निदेशालय को फेरा 1973 और फेमा 1999 के अधिनियम के तहत भारत सरकार के सभी वित्तीय संबंधी जांच करने का अधिकार है।

इसके अलावा भारत सरकार ने ईडी को विदेशी मुद्रा अधिनियम के तहत उल्लंघन से निपटने की पूरी छूट दी है। इसके अलावा सरकार द्वारा ईडी को कुछ ओर अधिकार भी उपलब्ध है जैसे :

• विदेश में किसी भी संपत्ति पर कार्यवाही करके रोकथाम करने का अधिकार ईडी के पास होता है।

• मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में पाए गए लोगों के खिलाफ जब्ती, गिरफ्तारी और खोज करने का अधिकार भी ईडी के पास है।

ईडी कैसे काम करता है ?

ईडी के यह कुछ प्रमुख काम होते हैं जैसे कि लेनदेन से संबंधित और फॉरेन एक्सचेंज से जुड़े मामलों की जांच करना ईडी का काम होता है।

ईडी द्वारा पूछ-ताछ करने पर व्यक्ति की लेनदेन की जांच की जाती है। इसके अलावा अगर आप विदेश में किसी प्रकार की संपत्ति खरीदते हैं तो इसकी जानकारी भी ईडी आपसे मांग सकता है। अगर आप किसी से भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा लेकर अपने पास रखते हैं तब भी ईडी आपसे पूछताछ कर सकता है। इसके अलावा अगर किसी ने विदेशी मुद्रा का अधिक व्यापार करना शुरू कर दिया है जिसकी उसे अनुमति नहीं मिली है तो उस संबंध में भी की ईडी जांच  करता है। इसके अलावा ईडी के पास फेमा उल्लंघन के तहत दोषी पाए गए लोगों की संपत्ति जप्त करने का अधिकार भी होता है।

ईडी देश या विदेश में किसी तरह से संपत्ति द्वारा होने वाली  धोखाधड़ी से भी बचाता है और दोषियों पर उचित कार्रवाई करता है। यही कारण है कि भारत सरकार ने वित्तीय मंत्रालय और और राजस्व विभाग के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ED) को उच्च और महत्वपूर्ण स्थान दिया है।

ईडी और सीबीआई में क्या अंतर है ?

सीबीआई की फुल फॉर्म सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन जिसे हिंदी में केंद्रीय जांच ब्यूरो कहा जाता है। यह भारत में केंद्र सरकार की एजेंसी है जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले अपराधों जैसे कि हत्या, घोटाले और भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करती है और साथ ही देश के राष्ट्रीय हितों से जुड़े मामलों की भी जांच करती है। 

भारत सरकार राज्य सरकार की सहमति से राज्य में मामलों की जांच का आदेश सीबीआई को देती है, हालांकि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय राज्य की सहमति के बिना किसी भी राज्य में अपराधी मामलों की जांच के लिए सीबीआई को आदेश दे सकती है।

मुख्य तौर पर सीबीआई हत्या, घोटाले, भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करती है वही ईडी मनी लॉन्ड्रिंग, विदेशी मुद्रा भंडार, अवैध संपत्ति की जांच करती है। वर्तमान में एडी फेरा 1973 और फेमा 1999 के अंतर्गत काम करती है।

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