कक्षा आठवीं में बच्चे थोड़ा-थोड़ा अम्ल और क्षारक के बारे में पढ़ना शुरू कर देते हैं। लेकिन दसवीं कक्षा में यह मुख्य चैप्टर के रूप में आता है जिसमें बताया जाता है कि अम्ल किसे कहते हैं और इसके भौतिक और रासायनिक गुण क्या है? यह विषय जानना इसलिए काफी जरूरी होता है क्योंकि 11वीं और 12वीं की केमिस्ट्री में इन विषयों का काफी इस्तेमाल किया जाता है।
अम्ल क्या है: वह पदार्थ जो स्वाद में खट्टे होते है; तथा नीले लिटमस पेपर को लाल कर देते हैं वह अम्ल कहलाते हैं। उदाहरण के लिए हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl), सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4), नाइट्रिक अम्ल (HNO3), बोरिक अम्ल (H3BO3) ।
अम्ल के भौतिक गुण
- यह मिथाइल ऑरेंज (C14H14N3NaO3S) को लाल कर देते हैं।
- यह धातु से रासायनिक अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस को मुक्त करते हैं।
- जो क्षारक से रासायनिक अभिक्रिया कर नमक (लवण) और जल का निर्माण करते हैं; वह अमल कहलाते हैं।
- यह स्वाद खट्टे होते हैं।
- यह नीले लिटमस पेपर को लाल कर देते हैं।
- अम्ल जल में घुलनशील होते हैं।
- अम्ल संक्षारक प्रकृति के होते हैं; इनकी रासायनिक क्रिया से कपड़े, त्वचा, कागज इत्यादि नष्ट भी हो सकते हैं। जैसे नए बैटरी में ऊपर लगा हुआ लोहा चमकदार होता है। लेकिन समय के साथ वह अम्ल के साथ रासायनिक अभिक्रिया करके उसे नष्ट कर देता है। जो बाद में सफेद और बुरे रंग का हो जाता है। अम्ल क्या है? जानने के बाद aml ke gun के बारे बात करते है।
अम्लों के रासायनिक गुण (अम्ल की रासायनिक अभिक्रिया)
- धातु से क्रिया: जब किसी सक्रिय धातु और अम्ल की रासायनिक अभिक्रिया की जाती है तो हाइड्रोजन का उत्सर्जन होता है जो गैस के रूप में बाहर निकल जाती है। आधुनिक आवर्त सारणी में देखे तो समूह एक से लेकर 12 तक अधिकतम धातु होते हैं। उदाहरण के लिए आयरन की रासायनिक अभिक्रिया हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ कुछ इस प्रकार होगी:
Fe + 2HCl -> FeCl2 (फेरस क्लोराइड) + H2 (↑)
- धातु कार्बोनेट से क्रिया: इस रासायनिक अभिक्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड गैस बनती है। इसके लिए हम कैल्शियम कार्बोनेट का उदाहरण लेते हैं:
CaCO3 + 2HCl -> CaCl2 (कैल्शियम क्लोराइड) + H2O + CO2
- धातु ऑक्साइड के साथ क्रिया: इस रासायनिक अभिक्रिया के दौरान जल और नमक (लवण, साल्ट) का निर्माण होता है। उदाहरण के लिए कैल्शियम ऑक्साइड की अभिक्रिया हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से करवाते हैं:
CaO + 2HCl -> CaCl2 (कैल्शियम क्लोराइड) + H2O
अम्ल के प्रकार
आरहीनियस की अवधारणा के मुताबिक अमल दो प्रकार के होते हैं दुर्लभ और प्रबल अम्ल। चलए जानते है प्रबल अम्ल किसे कहते हैं?
- प्रबल अम्ल: इस प्रकार के अम्ल जलीय विलियन में पूरी तरह से यानी 100% H+ आयन में टूट जाते हैं। उदाहरण के लिए HCl को पानी में डालने से यह पूर्ण रूप से H+ और Cl– आयन में टूट जाएगा। प्रबल अम्ल के अन्य उदाहरण है: सल्फ्यूरिक अम्ल, नाइट्रिक अम्ल।
- दुर्बल अम्ल: इस प्रकार के अम्ल जलीय विलियन में पूर्ण रूप से H+ आयन में नहीं टूटते हैं। उदाहरण के लिए CH3COOH को पानी में डालने पर कुछ ही H+ प्राप्त होते हैं; बाकी CH3COO– में बने रहते हैं। दुर्बल अम्ल के अन्य उदाहरण: फास्फोरिक अम्ल।
इसके अलावा अम्ल के प्रकार में कुछ अन्य तरह अम्ल आते हैं जो कि इस प्रकार है:
- ऑक्सो अम्ल: वैसा अम्ल जिसके रासायनिक सूत्र में हाइड्रोजन के अलावा ऑक्सीजन मौजूद होता है। उदाहरण के लिए एसिटिक अम्ल (CH3COOH) , फास्फोरिक अम्ल (H3PO4), नाइट्रिक अम्ल (HNO3), सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4)।
- हाइड्रा अम्ल: वैसा अमल जिसके रासायनिक सूत्र में केवल हाइड्रोजन परमाणु मौजूद होता है। उदाहरण के लिए हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl), हाइड्रोब्रॉमिक अम्ल (HBr), हाइड्रोइयोडिक अम्ल (HI), हाइड्रोफ्लोरिक अम्ल (HF)।
अम्ल की पहचान
अम्ल को पहचानने के लिए सबसे पहेली ट्रिक है कि जिस भी यौगिक के रासायनिक सूत्र में आगे हाइड्रोजन (H) लगा हुआ तो वह अधिकतम अम्ल ही होते है। उदाहरण के लिए HCl, H2SO4, H2S, HI, HClO3, H3PO3। हालांकि यह विभिन्न गुणधर्मों के आधार पर दुर्बल और प्रबल अम्ल में बंटे हुए होते हैं।
अगर कोई यौगिक अधातु का ऑक्साइड होता है तो वह भी अम्ल होता है। उदाहरण के लिए कार्बन (C) जोकि अधातु होता है; जिसका ऑक्साइड CO2 (कार्बन डाइऑक्साइड) अम्ल होगा। अन्य उदाहरण है: SO2, NO2।
अगर किसी यौगिक में COOH लग जाए तो वह भी अम्ल होगा। उदाहरण के लिए HCOOH, CH3COOH, C2H5COOH, C3H7COOH।
अम्ल अवधारणाएं
विभिन्न तरह के अम्ल को पहचानने और इसकी संरचना, गुणधर्म जानने के लिए अनेक वैज्ञानिकों ने अपनी अवधारणा दी इसमें से मुख्य आरहीनियस की अवधारणा मानी जाती है जो अम्ल के प्रभाव और इसकी रासायनिक अभिक्रिया के बारे में जानकारी प्रदान करती है।
आरहीनियस अवधारणा
इनके मुताबिक वह पदार्थ जो पानी में घोलकर H+ आयन प्रदान करते हैं वह अम्ल होते हैं। उदाहरण के लिए सल्फ्यूरिक अम्ल जिसकी रासायनिक अभिक्रिया कुछ इस प्रकार होगी:
H2SO4 + H2O (पानी) -> 2H+ + SO4-2
अम्ल की क्षारकता (basecity)
किसी अम्ल द्वारा मुक्त किए गए H+ आयन की संख्या को उसकी क्षारकता कहते हैं।
कोई भी अम्ल जितने अधिकतम हाइड्रोजन (H) को मुक्त कर सकता है वह उसकी क्षारकता होती है। हाइड्रोक्लोरिक अम्ल में एक ही H होता है जिसको वह मुक्त कर सकता है तो इसकी क्षारकता एक होगी। सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) की दो, फास्फोरिक अम्ल (H3PO4) की तीन क्षारकता होगी। अम्ल क्या है? जानने के बाद aml ke upyog के बारे बात करते है।
अम्ल के उपयोग
हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) का इस्तेमाल रासायनिक मैन्युफैक्चरिंग क्रियो में किया जाता है जिसमें फर्टिलाइजर, डाई और टेक्सटाइल के प्रोडक्शन में काम आता है। इसी के साथ केमिस्ट्री लैबोरेट्रीज में विभिन्न रासायनिक अभिक्रिया की संरचना समझने में भी मदद करता है। यह प्रबल अम्ल होता है। इसका इस्तेमाल धातु की सतह को जंग लगने से बचाने और स्टील की पिकलिंग में किया जाता है।
सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) को अम्लों का राजा भी कहा जाता है। इसका इस्तेमाल लैड बैटरीज, डिटर्जेंट, सीमेंट बनाने के लिए किया जाता है। यह प्रबल अम्ल होता है।
नाइट्रिक अम्ल (HNO3) का इस्तेमाल खाद, मेटालर्जी और खाना बचाने के विभिन्न केमिकल्स के रूप में किया जाता है।
एसिटिक अम्ल (CH3COOH) जिसे सिरका भी कहा जाता है। यह दुर्बल अम्ल होता है। आमतौर पर घरों में आचार को खराब होने से बचाने के लिए खाद्य संरक्षण के रूप में किया जाता है। अम्ल क्या है जानने के बाद aml ke name के बारे बात करते है।
अम्ल के नाम
टमाटर में प्रमुख रूप से तीन प्रकार के अम्ल पाए जाते हैं:
सिट्रिक अम्ल (Citric Acid): यह एक प्रमुख अम्ल है जो टमाटर में पाया जाता है। सिट्रिक अम्ल टमाटर के स्वाद को सुधारने और उसे खट्टा बनाने में मदद करता है।
मैलिक अम्ल(Malic Acid): यह भी टमाटर में पाया जाने वाला अम्ल है। मैलिक अम्ल टमाटर के ख़ास स्वाद में योगदान करता है और उसे थोड़ा सा खट्टा बनाता है।
आस्कोर्बिक अम्ल (Ascorbic Acid): यह विटामिन सी के रूप में भी जाना जाता है और टमाटर में पाया जाता है। यह टमाटर को ऑक्सीडेशन से बचाने में मदद करता है और उसे फ्रेश रखने में सहायक होता है।
नींबू में कौन सा अम्ल पाया जाता है?
नींबू में मुख्य रूप से दो प्रमुख अम्ल पाए जाते हैं:
सिट्रिक अम्ल (Citric Acid): सिट्रिक अम्ल नींबू के मुख्य रसायनिक अम्ल में से एक है। यह नींबू को खट्टा बनाता है और इसका उपयोग विभिन्न खाद्य वस्तुओं, ड्रिंक्स, और फ्लेवरिंग एजेंट्स में किया जाता है।
आस्कोर्बिक अम्ल (Ascorbic Acid – विटामिन सी): नींबू में आस्कोर्बिक अम्ल पाया जाता है, जो एक प्रमुख और प्रभावी एंटीऑक्सीडेंट है। यह रंग, स्वाद, और रंगों को सुरक्षित रखने के लिए बचाव करने में मदद करता है।
इमली में मुख्य रूप से तीन प्रकार के अम्ल पाए जाते हैं:
टार्टारिक अम्ल (Tartaric Acid): यह इसे खट्टा बनाता है और इसको विशेष स्वाद देता है।
सिट्रिक अम्ल (Citric Acid): यह भी एक अम्ल है जो इमली में पाया जाता है और इसे और भी खट्टा बनाता है।
मैलिक अम्ल (Malic Acid): इसमें मैलिक अम्ल भी होता है, जो फलों को खट्टा बनाने में योगदान करता है।
दही में मुख्य रूप से दो प्रमुख अम्ल पाए जाते हैं:
लैक्टिक अम्ल (Lactic Acid): यह सबसे प्रमुख अम्ल है जो दही में बनता है। यह मैक्टोबैसिलस नामक बैक्टीरिया द्वारा दूध के लैक्टोज़ की फ़ेरमेंटेशन के प्रक्रिया का हिस्सा होता है जिससे दही बनती है। लैक्टिक अम्ल दही को खट्टा बनाता है और इसे एक खास स्वाद प्रदान करता है।
सिट्रिक अम्ल (Citric Acid): छाछ जैसे कुछ दही उत्पादों में सिट्रिक अम्ल भी होता है।
मैलिक अम्ल (Malic Acid): सेब में मैलिक अम्ल पाया जाता है जो इसे खट्टा बनाता है। यह अम्ल सेब के विशेष स्वाद में योगदान करता है और उसे उच्च स्वादशक्ति प्रदान करता है।