दो परमाणुओं के बीच में किसी कारणवश्यक जुड़ाव (आकर्षण) होने से रासायनिक बंध का निर्माण होता है। रासायनिक बंध बनने के दो मुख्य कारण थे पहला अष्टक पूरा करना और दूसरा ऊर्जा को मुक्त करने के लिए। परमाणु के बीच में रासायनिक बंध मुख्य तौर पर तीन तरह के होते हैं जो की आयनिक बंध, धात्विक बंध और सहसंयोजक बंध। इसके अलावा कक्षा 12वीं में उपसहसंयोजक बंध के बारे में भी पढ़ा जाता है। लेकिन आज के इस लेख पर हम मुख्य तौर पर आयनिक बंध (ionic bond in hindi) किसे कहते हैं।

Ionic bond in hindi

अगर आयनिक बंध को परिभाषित करें तो किसी यौगिक के आयनो ( धनायन और ऋणायन) के मध्य बनने वाले बंध को आयनिक बंध कहा जाता है। इलेक्ट्रॉन का त्याग करने से धनायन (cation) और इलेक्ट्रॉन की प्राप्ति करने से ऋणायन (anion) बनता है।

आयनिक बंध किसे कहते हैं उदाहरण सहित समझाइए

उदाहरण के लिए LiCl (लिथियम क्लोराइड) में लिथियम एक इलेक्ट्रॉन छोड़कर Li+ धनायन बनाएगा और क्लोरीन एक इलेक्ट्रॉन प्राप्त करके Cl ऋणायन बनेगा। अंत में यह आपस में मिलकर LiCl आयनिक यौगिक बनाएंगे। क्योंकि यह यौगिक अयान के मध्य बना हुआ है तो इसमें बनने वाला बंध भी आयनिक होगा।

लुईस बिंदु संरचना

रासायनिक अभिक्रिया में विभिन्न परमाणु किस प्रकार इलेक्ट्रॉन ऑन-प्रदान कर रहे हैं और रासायनिक बंध बना रहे हैं; इसको कल्पना करना काफी मुश्किल होता है। इसके लिए अमेरिकन रासायनिक वैज्ञानिक गिल्बर्ट लुईस द्वारा लुइस बिंदु संरचना ( Lewis dot structure) दिया गया। चलिए उदाहरण से समझते हैं कि किसी परमाणु या यौगिक का लुईस बिंदु संरचना कैसे बनाएं?

NaCl लुईस बिंदु संरचना:

लुईस बिंदु संरचना बनाने के लिए NaCl में सोडियम और क्लोरीन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखें: Na (2,8,1), Cl (2,8,7)। × और के माध्यम से केवल बाह्यतम कोश के इलेक्ट्रॉन को फोटो में दिए गए तरीके से दर्शाए।

MgCl2 लुईस बिंदु संरचना:

मैग्नीशियम का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास होता है (2,8,2) इसके बाह्यतम कोश में दो इलेक्ट्रॉन होते हैं। क्लोरीन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास होता है (2,8,7) इसके बाह्यतम कोश में 7 इलेक्ट्रॉन होते हैं। इसकी लुईस बिंदु संरचना इस प्रकार बनेगी:

CO2 लुईस बिंदु संरचना: :O: = C = :O:

आयनिक बंद बनने के कारण

  • धनायन: परमाणु का आकार ज्यादा होना चाहिए ताकि Zeff कम हो और इलेक्ट्रॉन आसानी से निकाल पाए जिससे धनायन का निर्माण होगा।
  • ॠणायन: जब परमाणु का आकार कम होगा Zeff ज्यादा होगा और इलेक्ट्रॉन को ग्रहण करना आसान होगा जिससे ॠणायन का निर्माण होगा।
  • जालक ऊर्जा (लट्टिस एनर्जी): यह ऊर्जा जितनी ज्यादा होगी आयनिक बंध आसानी से बनेगा।

आयोनिक यौगिक क्या है?

कौनसा यौगिक कितना आयनिक होगा यह जानने के लिए एक उदाहरण लेते हैं।

आयनिक प्रतिशत: NaF > NaCl > NaBr > NaI

जब कभी धातु एक तरह का हो और अधातु पर आयनिक प्रतिशत निर्भर कर रहा हो तो उस अधातु का आकार जितना कम होगा उतनी ही इलेक्ट्रॉन की बंधुता ज्यादा होगी जिससे कि वह एक मजबूत आयनिक बंध बना सकेगा और ज्यादा आयनिक होगा।

आकर: F < Cl < Br < I

जैसा कि हमें आवर्त सारणी से पता है कि समूह के नीचे जाने पर आकर बढ़ता है; जिससे इलेक्ट्रॉन बंधुता कम होगी और कम आयनिक यौगिक बनेगा। इसलिए फ्लोरीन का यौगिक सबसे ज्यादा आयोनिक होगा क्योंकि इसका आकार बहुत छोटा है; जिससे यह सोडियम के साथ अच्छे से मिल सकता है और मजबूत बंध बना सकता है।

जालक ऊर्जा: NaF > NaCl > NaBr > NaI

(Ionic bond in hindi): जालक ऊर्जा भी इसी क्रम में होगी क्योंकि जितना यह दोनों परमाणु नजदीक आएंगे उतनी ही ऊर्जा मुक्त होगी जिसे जालक ऊर्जा कहा जाता है। क्लोरीन और सोडियम सबसे ज्यादा नजदीक आ सकते हैं जिससे की सबसे ज्यादा जलाक ऊर्जा इस यौगिक की होगी।

जब अधातु सामान और धातु अलग-अलग हो तो जितनी ज्यादा अच्छी धातु होगी उतना ही वह मजबूत आयनिक बंध बनेएगा। अगर आवर्त सारणी में देखे तो समूह में नीचे जाते हुए आकार बढ़ता है और आयनन विभव कम होता है। या इस प्रकार कहें की नीचे जाते समय धातु गुण बढ़ता है। RbCl यौगिक सबसे अधिक आयनिक होगा क्योंकि Rs में सबसे ज्यादा धातु गुण है।

आयनिक प्रतिशत: LiCl < NaCl < KCl < RbCl

आयनिक यौगिकों के गुणधर्म

  • आयनिक यौगिकों के बीच कॉलम (coulomb) बल के कारण आकर्षण होता है जिससे ऊर्जा मुक्त होती है; जो की जालक ऊर्जा होती है। इसी कारण इनकी भौतिक अवस्था ठोस (solid) होती है।
  • आयनिक यौगिकों के गलनांक (melting point) और कथनांक (boiling point) बहुत उच्च होते हैं।
  • आयनिक अभिक्रियाएं बहुत तेज होती है जो की बहुत ही कम समय में पूरी हो जाती है। इसी कारण इन अभिक्रियाओं का वेग परिभाषित नहीं कर सकते है।
  • चालकता (कंडक्टिविटी): ठोस अवस्था में आयनिक यौगिक विद्युत का चालन नहीं करते लेकिन गलित अवस्था (liquid,जलीय विलयन) में यह अपने आयन में टूट जाते हैं जो की विद्युत चालन का कारण बनते हैं।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मुक्त इलेक्ट्रॉन या आयन ही हमेशा विद्युत चालन का कारण बनते हैं। जहां पर भी मुक्त इलेक्ट्रॉन की संभावना होगी या फिर यौगिक अपने आयन में टूटेगा वहां पर विद्युत चालकता होगी।

आयनिक यौगिकों का गलनांक उच्च क्यों होता है?

क्योंकि आयनिक यौगिकों के बीच में मजबूत कॉलम (coulomb) बल के कारण आकर्षण होता है और जालक ऊर्जा अधिक होती है; जिससे यह बहुत ही मजबूती से एक दूसरे से बंधे हुए होते हैं। इसी कारण इनका गलनांक और कथनांक उच्च होता है।

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