ऑपरेटिंग सिस्टम में संघनन (compaction) द्वारा मेमोरी मैनेजमेंट यूनिट बाह्य विखंडन ( external fragmentation) को नियंत्रित करता है। कॉम्पेक्शन को समझने के लिए सबसे पहले हम जानते हैं की मेमोरी में एक्सटर्नल फ्रेगमेंटेशन क्यों होता है।

उदाहरण के लिए हमने एक मेमोरी का ब्लॉक लिया है जो की 12Mb का है। इस ब्लॉक को हमने तीन हिस्सों में बांट दिया है जिसमें की एक हिस्से में 2Mb का प्रोसेस चल रहा है। इसके बाद 5Mb खाली पड़ी हुई है जिसके बाद 5Mb का प्रोसेस चल रहा है।

अब अगर हमारे पास 7Mb का कोई नया प्रोसेस आ रहा है तो उसे किस प्रकार मेमोरी में जगह दी जाए? हालांकि मुख्य मेमोरी में हमारे पास कुल 7Mb की जगह उपलब्ध है लेकिन वह एक साथ जुड़ी हुई नहीं है यानी continous नहीं है। और इस समय पर हमारे पास पेजिंग जैसी कोई भी तकनीक नहीं है। तो हम इस स्थिति में नए प्रोसेस जो की 7mb का है उसको मुख्य मेमोरी में लोड नहीं कर सकते; इसे बाह्य विखंडन ( external fragmentation) कहा जाता है। इस मुश्किल को हल करने के लिए हम संघनन (compaction) तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। अब जानते है की ऑपरेटिंग सिस्टम में संघनन क्या है? (Compaction in OS in Hindi)

Compaction in OS in Hindi

संघनन में जो खाली मेमोरी होती है उसे एक जगह इकट्ठा करते हैं और जो भरी हुई मेमोरी होती है उसे एक जगह कर देते हैं। तो ऊपर दिए की फोटो में देख सकते हैं पहले 2mb और 5mb मेमोरी अलग-अलग थी जिसके कारण हम नई प्रोसेस को लोड नहीं कर पा रहे थे लेकिन Compaction की मदद से हमने वह 2Mb और 5Mb को एक साथ इकट्ठा करके 7Mb बना दिया जिससे हम नई प्रोसेस को लोड कर सकते हैं।

संघनन (compaction) की मुश्किलें

यह सीपीयू के उपयोग (CPU efficiency) को कम करता है। क्योंकि जो प्रोसेस सीपीयू को इस्तेमाल कर रहा है; संघनन करने के लिए उस प्रोसेस को रोकना पड़ेगा और सीपीयू को compaction की प्रक्रिया पूरी करनी होगी जिससे सीपीयू की उपयोगता कम होगी।

अगर मान ले की बार-बार compaction करने की जरूरत पड़ रही है तो सीपीयू को बार-बार प्रक्रिया को रोककर कॉम्पेक्शन को करना होगा जिससे कि सीपीयू का ज्यादातर समय कॉम्पेक्शन करने में ही चला जाएगा और वह अन्य प्रोसेस को समय नहीं दे पाएगा।

जब भी हम कॉम्पेक्शन करते हैं तो एड्रेस (address) को बार-बार बदलना पड़ता है और यह एड्रेस एक- एक बाइट (byte) करके बदलना पड़ता है और इस प्रक्रिया के दौरान सीपीयू को खाली बैठना पड़ता है। जैसा कि हम जानते हैं कि सीपीयू एक मुख्य रिसोर्स है जिसको हम कभी भी खाली नहीं बिठा सकते।

तो अंत में एक्सटर्नल फ्रेगमेंटेशन को खत्म करने के लिए हमने कॉम्पेक्शन तकनीक का इस्तेमाल किया है लेकिन यह तकनीक का इस्तेमाल किन्हीं परिस्थितियों में सही रहेगा लेकिन अंत में यह सीपीयू की उपयोगता को कम करेगा। इसके अलावा इस मुश्किल को हल करने के लिए नॉन कंटीन्यूअस मेमोरी एलोकेशन का इस्तेमाल किया जाता है; जिसमें पेजिंग और सेगमेंटेशन जैसे मुख्य विषय आते हैं।

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