मेमोरी कंप्यूटर में बहुत ही मुख्य और सीमित रिसोर्स होने के कारण इसे मैनेज करना काफी जरूरी होता है। ऑपरेटिंग सिस्टम में मेमोरी मैनेजमेंट मुख्य दो तरीकों से की जा सकती है पहला कंटीन्यूअस मेमोरी मैनेजमेंट जिसमें fixed partitioning और variable partitioning होता है लेकिन इसमें एक्सटर्नल फ्रेगमेंटेशन के कारण मेमोरी की बर्बादी ज्यादा होती है। दूसरा तरीका नॉन कंटीन्यूअस मेमोरी एलोकेशन होता है इसमें पेजिंग और सेगमेंटेशन जैसे मुख्य तरीके शामिल है। आज इस लेख में हम जानेंगे कि पेजिंग क्या होता है और इसे कैसे करते हैं। (paging in OS in Hindi)। किसी भी यूनिवर्सिटी या नेशनल लेवल एंट्रेंस एग्जाम में पेजिंग से प्रश्न जरूर पूछे जाते हैं क्योंकि यह ऑपरेटिंग सिस्टम के मुख्य विषयों में शामिल है। पेजिंग को जाने से पहले बात करते हैं नॉन कंटीन्यूअस मेमोरी एलोकेशन क्या होता है?

कंटीन्यूअस का मतलब होता है एक साथ या इकट्ठा। यानी मेमोरी को एक साथ और एक जगह पर बनाए रखना। जब भी किसी प्रोसेस को मेमोरी की आवश्यकता होती है तो उसको मेंन मेमोरी में एक साथ जगह दी जाती है। यानी उस मेमोरी के बीच में किसी अन्य प्रोसेस को मेमोरी नहीं दे सकते।

लेकिन नॉन कंटीन्यूअस मेमोरी एलोकेशन में हम मेंन मेमोरी (RAM) को छोटे-छोटे भागों में बांट देते हैं। अब अगर कोई प्रोसेस मेमोरी की मांग करता है तो उसे रेम में एक साथ ना देकर मेमोरी अलग-अलग जगह पर दी जाती है।

अर्थात कंटीन्यूअस में मेमोरी एक साथ दी जाती है। वही नॉन कंटीन्यूअस में मेमोरी कहीं भी टुकडों दी जा सकती है। जिसे आप नीचे दी गई फोटो से आसानी से समझ सकते हैं। पेजिंग नॉन कंटीन्यूअस मेमोरी एलोकेशन के आधार पर ही बनाई गई है।

memory management kya hai in os hindi

शुरुआत में कोई भी प्रोसेस सेकेंडरी मेमोरी यानी हार्ड डिस्क में सुरक्षित होता है। सीपीयू जो एड्रेस ( प्रोसेस के डाटा तक पहुंचाने की जानकारी) उत्पन्न करता है वह लॉजिकल ऐड्रेस होता है जो की सेकेंडरी मेमोरी के संबंधित होता है। क्योंकि किसी भी प्रोसेस को एग्जीक्यूट करने के लिए हम उसे सेकेंडरी मेमोरी से मेंन मेमोरी (RAM) में लेकर आते हैं जहां उसका एड्रेस बदल जाता है जिसे फिजिकल ऐड्रेस कहते हैं।

पेजिंग क्या होता है?

सेकेंडरी मेमोरी में पड़े हुए प्रोसेस को छोटे-छोटे बराबर हिस्सों में तोड़ देना पेजिंग कहलाता है। इन छोटे हिस्सों को पेज कहा जाता है। उदाहरण के लिए अगर प्रोसेस 20kb का है तो इसके बराबर हिस्से करने पर प्रत्येक पेज 2kb का होगा और कुल पेजों की संख्या 10 बन जाएगी।

paging kya hai in os hindi

अब मेंन मेमोरी को भी निश्चित हिस्सों में बांटा जाता है। मेंन मेमोरी के हिस्से का आकार पेज के आकार के बराबर होता है। अगर पेज 2kb का है तो मेंन मेमोरी भी 2-2 kb के पेज में बांटी जाएगी। इन हिस्सों को फ्रेम्स कहा जाता है।

उदाहरण के लिए हम दो प्रोसेस लेते हैं P1 और P2। मान ले की P1 10KB का प्रोसेस है जिसको 2KB के पेज में बांटा गया है तो इसके कुल पांच पेज बनेंगे। वही दूसरा प्रक्रिया P2 12KB का है जिसके 2KB के 6 पेज बनेंगे। क्योंकि पेज का आकर 2KB का है तो हमें मेंन मेमोरी को भी 2KB के हिस्सों में बांटना होगा। अब यह सारे पेज सेकेंडरी मेमोरी से मेंन मेमोरी में सीपीयू की मांग के आधार पर आते हैं।

अगर सीपीयू को उस डाटा की जरूरत है जो प्रोसेस P1 के पेज नंबर 3 में पड़ा है तो सबसे पहले मेंन मेमोरी में P1 प्रोसेस का पेज 3 (p3) आएगा। इससे फायदा होता है कि हमें पूरे प्रोसेस को मेंन मेमोरी में लोड करने की जरूरत नहीं पड़ती बल्कि जो डाटा की आवश्यकता होती है उससे संबंधित पेज को मेंन मेमोरी में लोड कर लेते हैं।

अगर प्रोसेस P1 किसी अन्य कार्य में लग जाता है और उसे कुछ समय के लिए सीपीयू की आवश्यकता नहीं रहती तो ऐसे में सीपीयू तो कभी भी खाली नहीं बैठ सकता तो इस समय दूसरा प्रोसेस P2 सीपीयू पर एग्जीक्यूट होने लग जाएगा। जब सीपीयू को दूसरा प्रोसेस P2 मिलेगा तो उसी समय उससे संबंधित पेज को सेकेंडरी मेमोरी से मेंन मेमोरी में लाया जाएगा।

इसी प्रकार सीपीयू के मांग के आधार पर विभिन्न प्रोसेस के पेजों को मेंन मेमोरी में लोड किया जाता है अंत में जब यह भर जाती है तब उन पेजों को वापस सेकेंडरी मेमोरी में भेज दिया जाता है जिनकी आवश्यकता नहीं है। यह सब पेज रिप्लेसमेंट एल्गोरिथम द्वारा तय किया जाता है जिसे आप यहां से विस्तार में पढ़ सकते हैं।

यह भी पड़े: डिमांड पेजिंग क्या है? Demand Paging in OS in Hindi

पेजिंग में पेज टेबल क्या है?

यह तो आपने जान लिया कि ऑपरेटिंग सिस्टम में पेजिंग क्या होती है लेकिन मेंन मेमोरी को कैसे पता चलता है कि कौन से फ्रेम नंबर पर किस प्रक्रिया का कौन सा पेज नंबर पड़ा है। इसके लिए हर एक प्रोसेस अपना पेज टेबल बनाता है जिसको पेज के साथ मेंन मेमोरी में लोड कर दिया जाता है।

पेज टेबल में दो भाग होते हैं पहले फ्रेम नंबर को दर्शाता है वह दूसरे भाग में किस फ्रेम नंबर पर कौन सा पेज नंबर पड़ा है वह होता है।

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