क्षारक हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं; वह पदार्थ दो स्वाद में कड़वे या तीखे होते हैं तथा लाल लिटमस पेपर को नीला कर देते हैं। जहां पेट की एसिडिटी को दूर करने के लिए इनका इस्तेमाल किया जाता है वही विभिन्न इंडस्ट्रियल अभिक्रियाओं में भी यह महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। कक्षा 12वीं की केमिस्ट्री के नजरिए से भी यह काफी महत्वपूर्ण है तो चलिए आज बात करते हैं क्षारक किसे कहते हैं और इनकी परिभाषा, गुण और प्रकार। (chhar kise kahate hain)
क्षारक की परिभाषा
एरहेनियस के सिद्धांत के मुताबिक वह यौगिक जो जलीय विलियन में हाइड्रोक्सी अयान (OH) को मुक्त करते हैं वह क्षारक कहलाते हैं। इसके अलावा लोरी के सिद्धांत के मुताबिक रासायनिक अभिक्रिया के दौरान जो पदार्थ प्रोटॉन को ग्रहण करते हैं वह क्षारक कहलाते हैं। क्षारक को भस्म भी कहा जाता है।
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क्षार के गुण
- यह स्वाद में कड़वे और यह संक्षारक होते हैं यानी त्वचा पे लगने पर जला सकते हैं।
- यह लिटमस पेपर को नीला कर देते हैं।
- क्षारक मिथोल ऑरेंज को पिला कर देते हैं।
- इनका पीएच (PH) मान 7 से अधिक होता है।
- यह फिनोलमिथाइलिन को गुलाबी कर देते हैं।
रासायनिक अभिक्रियाएं
अम्ल के साथ: जब कोई अम्ल वह क्षारक आपस में रासायनिक अभिक्रिया करते हैं तो लवण ((salt)) एवं जल का निर्माण करते हैं जिसे उदासीनीकरण (न्यूट्रलाइजेशन) अभिक्रिया कहते हैं।
क्षार को पहचानने की ट्रिक क्या है?
किसी भी क्षार को पहचानने की सबसे आसान ट्रिक है कि अगर किसी यौगिक के अंत में OH लगा हुआ है तो वह क्षार होगा। उदाहरण के लिए लिथियम हाइड्रोक्साइड (LiOH), कैल्शियम ऑक्साइड (Ca(OH)2), पोटेशियम ऑक्साइड (KOH), मैग्नीशियम ऑक्साइड (Mg(OH)2), बेरियम ऑक्साइड (Ba(OH)2)।
धातु के ऑक्साइड क्षार होते हैं। उदाहरण के लिए अल्युमिनियम जो की धातु है जिसका ऑक्साइड Al2O3 क्षार होता है। अन्य उदाहरण है: MgO, Ba2O, CaO, KO2, MnO2, Cr2O4, V2O3।
क्षारक अवधारणा
एरहेनियस अवधारणा के मुताबिक क्षारक किसे कहते हैं: वह रासायनिक पदार्थ है जो जल में घुलकर OH- मुक्त करते है; वह क्षारक (बेस) कहलाते हैं। उदाहरण के लिए सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH) की पानी में रासायनिक अभिक्रिया कुछ इस प्रकार होगी:
NaOH + H2O (पानी) -> Na+ + OH–
ब्रांसटेड लॉरी अवधारणा: वह पदार्थ जो प्रोटॉन (H+ आयन) को ग्रहण करते हैं वह क्षारक कहलाते हैं; प्रोटॉन को ग्रहण करके यह कन्ज्यूगेट अम्ल बनाते हैं। उदाहरण के लिए अमोनिया जो पानी से H+ ग्रहण करके NH4+ बनता है।
NH3 + H2O -> NH4+ + OH–
लुईस अवधारणा: वह पदार्थ जो इलेक्ट्रॉन को दान करते हैं उन्हें क्षारक कहा जाता है। यह इलेक्ट्रॉन उपसहसंयोजक (कोऑर्डिनेटर कोवेलेंट) बंध में किया जाता है। उदाहरण अमोनिया बोरोन ट्रीफ्लोराइड को इलेक्ट्रॉन दान करता है और उप-सहसंयोजक बंध बनाता है।
NH3 + BF3 -> H3 N – BF3
-BF3
क्षारक के प्रकार
प्रबल क्षारक: इनमें OH आयन त्यागने की अधिक प्रवृत्ति होती है यहां इसे ऐसे कहें यह जल में पूर्ण रूप से (100%) OH में टूट जाते हैं। उदाहरण के लिए पोटैशियम हाइड्रोक्साइड (KOH) जो की पानी में डालने से पूर्ण रूप से K+ और OH– में टूट जाता है। प्रबल क्षारक के अन्य उदाहरण है: सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH), सीसियम हाइड्रोक्साइड (CsOH), बेरियम हाइड्रोक्साइड (Ba(OH)2), लिथियम हाइड्रोक्साइड (LiOH), स्ट्रोंटीनीयम हाइड्रोक्साइड (Sr(OH)2)। प्रबल क्षारक किसे कहते हैं जानने के बाद अब बात करते है दुर्बल क्षारक क्या है?
दुर्बल क्षारक: इनमें OH आयन त्यागने की अधिक प्रवृत्ति कम होती है यहां इसे ऐसे कहें यह जल में पूर्ण रूप से OH में नहीं टूटते हैं। उदाहरण के लिए अमोनियम हाइड्रोक्साइड (NH4OH), अल्युमिनियम हाइड्रोक्साइड (Al(OH)3)।
अम्लता क्या है?
किसी क्षारक में OH– आयन की संख्या उस क्षारक की अम्लता कहलाती है। उदाहरण के लिए सोडियम हाइड्रोक्साइड में OH– की संख्या एक है तो इसकी अम्लता भी एक होगी। अल्युमिनियम हाइड्रोक्साइड (Al(OH)3) की तीन, बेरियम हाइड्रोक्साइड (Ba(OH)2) की दो अम्लता होगी।
क्षार और क्षारक में अंतर
क्षारक वह होते हैं जो पानी में अल्प-घुलनशील होते हैं। वहीं क्षार जल में घुलनशील होते हैं। समस्त क्षार क्षारक होगें लेकिन प्रत्येक क्षारक क्षार नहीं हो सकता है। उदाहरण के लिए Ca(OH)2 क्षारक है और NaOH क्षार होता है; यह जल में पूर्ण रूप से घुलनशील होते हैं जो हाइड्रोक्सी अयान को मुक्त करते हैं। क्षार के अन्य उदाहरण है: KOH, NH4OH
NaOH + H20 ⇌ Na+ + OH–
क्षारक के इस्तेमाल
सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH): इसे कास्टिक सोडा भी कहा जाता है। इसका इस्तेमाल साबुन बनाने और कागज उद्योग में किया जाता है। इसका सबसे लोकप्रिय इस्तेमाल शुद्ध नमक बनाने में किया जाता है।
पोटेशियम हाइड्रोक्साइड (KOH): का इस्तेमाल मृदु साबुन बनाने में किया जाता है।
कैल्शियम हाइड्रोक्साइड (Ca(OH)2): यह आमतौर पर घरों में खाने वाले चूने के रूप में मिलता है। इसका मुख्य इस्तेमाल घरों में पुताई में होता है। क्योंकि जब हम किसी दीवार पर कैल्शियम हाइड्रोक्साइड को लगते हैं तो यह हवा से कार्बन डाइऑक्साइड गैस के साथ रासायनिक अभिक्रिया करके कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO3, चूना पत्थर) की ठोस परत बना लेता है।
मैग्निशियम हाइड्रोक्साइड (Mg(OH)2): इसे ” मिल्क आफ मैग्नीशिया ” भी कहा जाता है। क्योंकि यह एक दुर्लभ क्षारक है जिसका इस्तेमाल एंटाएसिड जो कि पेट से संबंधित दवाइयां होती है बनाने में किया जाता है।
अब जानते है की amla aur chhar mein antar क्या है?
अम्ल तथा क्षारक में अंतर (5 अंक प्रश्न)
अमल स्वाद में खट्टे होते हैं। | क्षारक स्वाद में कड़वे होते हैं। |
इनका पीएच मान 7 से कम होता है। | इनका पीएच मान 7 से अधिक होता है। |
यह क्षारक को उदासीन कर देते हैं | यह अम्ल को उदासहीन करते हैं |
अम्ल नीले लिटमस पेपर को लाल कर देते हैं। | क्षार कलाल लिटमस पेपर को नीला कर देते हैं |
यह जलीय विलियन में हाइड्रजन H+ अयान को मुक्त करते हैं। | यह जलील विलियन में OH- आयन को मुक्त करते हैं । |
उदाहरण HCL, H2SO4, HNO3, CH3COOH | NaOH, KOH, Mg(OH)2, NH4OH, Al(OH)3 |
FAQs
क्षारक के साथ हल्दी का रंग लाल हो जाता है जो की शुरुआत में पीला होता है। लेकिन अम्ल के साथ हल्दी की क्रिया करने पर इसका रंग परिवर्तन नहीं होता और वह पीला ही बना रहता है।