आठवीं कक्षा की शुरुआत में ही बच्चे इलेक्ट्रॉन के बारे में पढ़ाने लगते हैं। इलेक्ट्रॉन क्या है? इलेक्ट्रॉन की खोज किसने की इत्यादि। इलेक्ट्रॉन का महत्व साइंस की दुनिया में बहुत ज्यादा है या यूं कहें की इलेक्ट्रॉन के बिना साइंस की कल्पना नहीं की जा सकती है। एटम शब्द ग्रीक भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ होता है आशय अविभाजित। यानी वह चीज जिसको ओर सूक्ष्म चीज में नहीं तोड़ा / विभाजित नहीं किया जा सकता है।

इलेक्ट्रॉन किसे कहते हैं?

एक अणु (एटम) 3 चीजों से मिलकर बना होता है इलेक्ट्रॉन प्रोटॉन और न्यूट्रॉन। इन तीनों को मिलकर ही किसी भी पदार्थ के एटम का निर्माण होता है और इन एटम को मिलकर ही विभिन्न तरह के यौगिक का निर्माण होता है। इन तीनों में से इलेक्ट्रॉन नेगेटिवली चार्जड पार्टिकल होता है और जिसका सबसे कम द्रव्यमान होता है। एटम के केंद्र में न्यूट्रॉनस और प्रोटेंस एक साथ होते हैं वही इलेक्ट्रॉन इस केंद्र की परिक्रमा करता है। इसे आप सौरमंडल के उदाहरण से समझ सकते हैं जैसे सूरज की परिक्रमा पृथ्वी करती है वैसे ही इलेक्ट्रॉन एटम की परिक्रमा करता है।

इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान

इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान बहुत ही कम होता है यह एक अणु इलेक्ट्रॉन और प्रोटोन से भी काम होता है। इलेक्ट्रॉन का शीर्ष द्रव्यमान 9.10938356 × 10-31 होता है।  जो की प्रोटीन के मुकाबले 1/1836 है।

अगर किसी तत्व के परमाणु में एक, दो या तीन इलेक्ट्रॉन होंगे तो  इसकी संयोजकता ( वैलेंसी, यानी वह कितने एटम के साथ बंध बना सकता है) 1,2 या 3 होगी और यह अपने इलेक्ट्रॉन दूसरे एटम को दे देगा। अगर परमाणु के अंतिम कोर्स में 5 6 7 इलेक्ट्रॉन है तो इसकी वैलेंसी 1 2 3 होगी और यह दूसरे एटम से इलेक्ट्रॉन प्राप्त करेगा। अगर अंतिम कोष में चार इलेक्ट्रॉन है तो यह दूसरे एटम के साथ इनको सजा करेगा और इसकी संयोजकता कर होगी। वहीं अगर अंतिम कोष में 8 इलेक्ट्रॉन है तो इसकी संयोजकता 0 होगी।

मूलभूत कण (फंडामेंटल पार्टिकल्स)

पार्टिकलसिंबलद्रव्य मास (Kg)रिलेटिव चार्ज
प्रोटॉनp+1.673 × 10-27+1
न्यूट्रॉन n0  1.675 × 10-27 0
इलेक्ट्रॉन e-  9.109 x 10-31   -1

इलेक्ट्रॉन की खोज किसने की?

इलेक्ट्रॉन की खोज 1857 अंग्रेजी भौतिक वैज्ञानिक जेजे थॉमसन द्वारा कैथोड किरणों के एक्सपेरिमेंट दौरान की गई थी। इस खोज के बाद साइंस को देखने का नजरिया ही बदल गया था। इलेक्ट्रॉन की खोज के बाद इसको समझने के लिए कई मॉडल आए । इलेक्ट्रोंस बहुत ही छोटे पार्टिकल्स होते हैं जिनकी संख्या उस परमाणु में पॉजिटिव चार्ज पार्टिकल के बराबर होती है। यानी किसी भी परमाणु में इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन की मात्रा बराबर होती है।

इलेक्ट्रॉन की खोज से ही मॉडर्न साइंस का आविष्कार हुआ जिसमें ऑर्गेनिक केमिस्ट्री, क्वांटम मैकेनिक्स, क्वांटम फिजिक्स शामिल है। इसके माध्यम से ही थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी, आधुनिक आवर्त सारणी को समझने में सक्षम हो सके है।

इलेक्ट्रॉन की खोज कैसे हुई?

1830 तक कांच अथवा ईबोनाइट को रगड़ने से विद्युत उत्पन्न होती है इसकी खोज हो चुकी थी। लेकिन ऐसा क्यों हो रहा है यह अभी भी एक सवाल बना हुआ था। लेकिन यह दर्शाता था कि पदार्थ विद्युत प्रकृति का है। कैथोड किरण गैसों में विद्युत धारा प्रवाहित होती है यह भी साबित करता था कि पार्टिकल्स में विद्युत प्रकृति मौजूद है।

सन् 1978 में विलियम क्रॉक्स का प्रयोग

इस प्रयोग में एक कांच की लंबी पाइप ली गई जिसके दोनों सिरों को बंद करके धातु की एक प्लेट लगा दी गई। और इस बंद कांच की बोतल में एक गैस भर दिया गया जिसको निकालने के लिए पंप के साथ स्टॉपर लगाया गया जो की बोतल के नीचे लगा हुआ है ताकि गैस का दाब कम हो सके। इसके बाद उसे ट्यूब में करीबन 10,000 वोल्ट की विद्युत धारा प्रवाहित की गई।

क्रॉक्स का निष्कर्ष

  • अगर गैस सामान्य दाब पर है तो उसमें उच्च विद्युत धारा प्रवाहित करने पर भी गैस में विद्युत धारा प्रवाहित नहीं होती है
  • जैसे ही दाब को 10-2 atm कर देते हैं तो गैस में विद्युत धारा का बन जाती है। तथा उस कांच की पाइप में रंगीन प्रकाश का उत्पन्न होता है। 10-2 atm यानी की 1/100 ; जिसका अर्थ है कि सामान्य परिस्थितियों में जो गैस की दाब होती है उसको 100 गुना कम कर दिया ।
  • दाब को 10-4 atm कर देने पर प्रकाश का उत्सर्जन बंद हो जाता है और ऐनोड (सकारात्मक चार्ज) की ओर की दीवार हरे रंग की प्रतिद्वीप्त उत्पन्न हो जाता है।  

इससे यह पता चलता है कि कैथोड की प्लेट से कोई किरण निकल रही है जो हमें दिखाई नहीं दे रही और वह एनोड की तरफ जा रही है और जब वह कांच से टकराती है तो प्रकाश उत्पन्न करती है। क्योंकि यह किरण कैथोड से निकल रही थी तो इनको कैथोड किरण का नाम दिया गया।

कैथोड किरणों के गुण (properties of cathode Hindi)
  • कैथोड किडनी सरल रेखा में चलती हैं जैसे प्रकाश सीधी रेखा में चलता है।
  • कैथोड करने ऋणात्मक प्रकृति की होती है और यह चुंबकीय क्षेत्र से प्रभावित होती है।
  • यह करने छोटे-छोटे द्रव्य कणों से मिलकर बनी है जो उष्मीय प्रभाव उत्पन्न करती है।
  • कैथोड करने X-किरणों उत्पन्न करती हैं।
  • कैथोड किरण बाहरी कांच पर तथा कुछ अन्य पदार्थों जैसे जिंक सल्फाइड कैडमियम सल्फाइड इत्यादि पर चमक उत्पन्न करती है।
  • कैथोड किडनी फोटोग्राफी प्लेट को प्रभावित करती है और यह भेदन क्षमता रखती हैं।

1880 के अंत तक कैथोड किरणों की प्रकृति के विवाद ने भौतिक वैज्ञानिकों को दो हिस्सों में बांट दिया। कुछ भौतिक वैज्ञानिकों ने सोचा कि कैथोड किरणें विद्युत प्रभावित कण (पार्टिकल्स) है क्योंकि वह चुंबक से प्रभावित होते थे अन्य भौतिक वैज्ञानिकों का मानना था कि कैथोड किरणें तरंगें हैं जो की हिधी रेखा में यात्रा करती है और ग्रेविटी से प्रभावित नहीं होती है।

जे.जे थॉमसन का प्रयोग

थॉमसन ने एक गैस ट्यूब ली इसके दोनों सिरों पर कैथोड (नकारात्मक चार्ज) और एनोड (सकारात्मक चार्ज) लगा दिया जिसे 10,000 वोल्ट की बैटरी से जोड़ दिया गया। फिर इसमें देखा गया कि कैथोड की तरफ से किरणे उत्पन्न होती है जो की एनोड की तरफ यात्रा करती है। क्योंकि एनोड सकारात्मक चार्ज था और किराणे इसकी तरफ आ रही थी तो यह किरणे नकारात्मक चार्ज की होगी।

इसके बाद जेजे थॉमसन ने कई बार इलेक्ट्रोड की धातु, वोल्ट, गैस को बदल कर देखा लेकिन हर बार एक जैसी चीज देखने को मिली। इसके बाद यह थॉमसन ने इन नकारात्मक चार्ज कानों को negatron नाम दिया जिसे कैथोड करने भी कहा जाता है। इसके कुछ वर्ष बाद जॉर्ज स्टोनी नामक वैज्ञानिक ने इन किरणो को इलेक्ट्रॉन का नाम दिया ।

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