परमाणु संरचना 11वीं कक्षा का बहुत ही महत्वपूर्ण भाग होता है; जिसमें इलेक्ट्रोन की खोज और कैथोड किरणों का अविष्कार भौतिक जगत में काफी रोचक है। पिछले आर्टिकल में हमने जाना था कि इलेक्ट्रॉन क्या है और इसकी खोज कैसे हुई आज के इस लेख में हम जाने की कैथोड किरणें क्या है और कैथोड किरणों की खोज कैसे हुई? और 11वीं कक्षा की परीक्षा के जरूरी कैथोड किरणों के गुण क्या होते हैं।

कैथोड किरणों की खोज किसने की?

कैथोड किरणों की खोज में कई साइंटिस्ट का योगदान है। जिसमें शुरुआत 1858 में जूलियस प्लकर ने कि जोकी जर्मन मैथमेटिशियन और भौतिक वैज्ञानिक थे। प्लकर ने वैक्यूम ट्यूब में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर हरे रंग की चमक देखी और यह सोचा कि यह कोई अदृश्य किरणें है जो कैथोड से निकल रही है। लेकिन इससे ज्यादा वह इसके बारे में कुछ नहीं पता कर सके।

जोहन विल्हेल्म हिटोर्फ का प्रयोग:

यह जर्मन भौतिक विज्ञानी थे जो जूलियस प्लकर के छात्र थे। जिसने कैथोड किरणों की रिसर्च को आगे बढ़ाया। सन 1869 से 1880 तक जोहन ने कई प्रयोग किए और यह पाया कि कैथोड किरणें पयार्य छायाएँ डाल सकती है। और इन्हें विद्युत और चुंबकीय क्षेत्र द्वारा प्रभावित किया जा सकता है। इन्होंने यह भी खोज की वैक्यूम ट्यूब के अंतिम सिरे पर प्रकाशीयता पैदा होता है।

विलियम क्रुक्स का प्रयोग:

1879 से 1880 तक विलियम क्रुक्स जो की एक इंग्लिश केमिस्ट और फिजिक्सट थे। क्रुक्स ने प्लकर और हिटोर्फ की खोज को आगे बढ़ाया। इन्होंने देखा कि वैक्यूम ट्यूब जिसे अब क्रॉक्स ट्यूब कहा जा रहा था; उसमें उच्च स्तर की विद्युत धारा प्रवाहित करने पर कैथोड किरणें पॉजिटिव चार्ज एनोड की तरफ जा रही थी। क्रुक्स ने देखा कि कैथोड किरण को जब किसी चक्र पर डाला जाता है तो उसे घुमाने लगती है और कुछ धातुओं पर टकराने पर चमक पैदा करती है। इसके बाद इन्होंने कैथोड किरणों को कणों का नाम दिया जो की सीधी रेखा में यात्रा करते है।

जेजे थॉमसन का प्रयोग

यह एक इंग्लिश भौतिक वैज्ञानिक थे जिन्होंने क्रुक्स, प्लकर और हिटोर्फ के प्रयोग को मिलाकर कैथोड किरणों के गुण के बारे में बताया। 1857 में जे.जे थॉमसन ने कई प्रयोगों के बाद यह निष्कर्ष निकाला कि यह कैथोड किरणें छोटे कणों से मिलकर बनी हैं जो की नेगेटिव चार्ज ( ऋणात्मक प्रकृति ) की है।

लेकिन उस समय इस चीज को मना नहीं जा रहा था क्योंकि डेल्टन थ्योरी उस समय काफी लोकप्रिय थी जो कह रही थी कि दुनिया में सबसे सुक्ष्म चीज एटम यानी अनु है जिसको ओर तोड़ नहीं सकते। लेकिन यह प्रयोग यह साबित कर रहे थे कि एटम से भी सुक्ष्म चीज है। जब कुछ सालों बाद डेल्टन थ्योरी फेल हो गई तो इन प्रयोगों को मान्यता दी गई और कैथोड किरणों को इलेक्ट्रोंन का नाम दिया गया। जिसका पूरा खिताब जेजे थॉमसन को दिया गया। लेकिन इलेक्ट्रोंन की खोज में कई सालों के साइंटिस्ट के प्रयोग भी शामिल थे जिन्हें अंत में जेजे थॉमसन द्वारा साबित किया गया।

कैथोड किरणें क्या है – निश्कर्ष: कैथोड किरणें किसी सुक्ष्म कणों से बनी होती है जिन्हें इलेक्ट्रोन कहा जाता है।

कैथोड किरणों के गुण क्या है?

  • कैथोड किरणें सरल रेखा में यात्रा करती है। जिसको साबित करने के लिए विसर्जन नली के बीच में एनोड की एक जाली लगाई गई और जाली के पीछे कोई वस्तु रख उच्च विद्युत धारा प्रवाहित करने पर पर उसकी परछाई पीछे बन रही थी। किरणों के पथ में जब कोई ठोस पदार्थ रख दिया जाता है तो उसकी छाया विपरीत दिशा में बनती है। तो यह सिद्ध करता है कि कैथोड किरण सरल रेखा में चलती है। यह एक्सपेरिमेंट जे.जे थॉमस द्वारा किया गया था।
  • कैथोड किडनी ऋणात्मक (नेगेटिव चार्ज) प्रकृति की होती है। एक्सपेरिमेंट के दौरान दो इलेक्ट्रोड लिए जिसके एक सिरे पर नेगेटिव चार्ज दिया जिसको कैथोड बोला गया और पॉजिटिव चार्ज वाले को एनोड बोला गया। और अब बैटरी के माध्यम से इसमें विद्युत धारा प्रवाहित की साथ ही नली में एक और विद्युत धारा प्रवाहित की जो की बैटरी की विद्युत धारा से थोड़ी कम होगी। तो देखा कि कुछ किरणें उस विद्युत धारा की तरह मुड़ने लगी जो की पॉजिटिव चार्ज (धनात्मक) था जिससे साबित होता है कि कैथोड किरणे नेगेटिव चार्ज या ऋणात्मक प्रकृति की होती है।
  • कैथोड किरणें चुंबकीय क्षेत्र से प्रभावित होती है। जब इन किरणें को चुंबकीय क्षेत्र से गुजरा गया तो यह थोड़ी सी मुढ़ जाती है। जिससे यह पता चलता है कि यह किरणें चुंबकीय क्षेत्र से प्रभावित होती है।
  • कैथोड किरणें छोटे-छोटे द्रव्य कणों से मिलकर बनी होती है। जैसा कि वायु नाइट्रोजन, ऑक्सीजन जैसी गैसों का मिश्रण है और गैस पदार्थ होता है। जो छोटे-छोटे परमाणु से मिलकर बनी होती है। तो जब यह किरणें पंखे से टकराएगी तो यह पंखे को हिला सकती है; क्योंकि यह पार्टिकल्स यानी काणों से मिलकर बनी हुई है। इसको साबित करने के लिए जेजे थॉमसन ने किरणों के रास्ते में एक हल्का चक्र रख दिया और जब कैथोड किरणों के कण इस चक्र से टकराए तो यह चक्र घूमने लग गया।
  • कैथोड किरणें ऊष्मीय (थर्मल) प्रभाव उत्पन्न करती है। क्योंकि इन किरणों को धातु की प्लेट पर डालने पर धातु गरम हो जाता है। जिससे यह सिद्ध होता है कि कैथोड किरणें गर्मी यानी ऊष्मीय प्रभाव उत्पन्न कर रही है। इससे यह भी सिद्ध होता है कि यह पार्टिकल्स यानी काणों से मिलकर बनी हुई है।
  • कैथोड किरणें, X-किरणें उत्पन्न करती है। जब नली के अंदर एक डिस्क लगाई गई जिससे किरण आगे गई और प्रिज्म से निकाल कर एक फिलामेंट ( जिसमें कम विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है) से टकरा कर वापस आएगी और प्रिज्म से टकराकर जो किरणें बाहर निकलेगी तो यह X-rays कहलाएगी। यह फिलामेंट टंगस्टन, माॅलिब्डेनम, प्लैटिनम जैसी कठोर सत्ता होती है।
  • कैथोड किरणें गैसों का आयनीकरण करती है। नीचे दी गई फोटो में एक गोल आकार की चीज है जिसमें गैस भरी हुई है और शुरुआत में वोल्टमीटर जीरो पर है। यदि सामान्य गैस है तो कोई भी विद्युत धारा प्रवाहित नहीं हो रही है। लेकिन जब इसमें कैथोड किरणें डाली जाएगी तो यह गैस को आयनीकरण (आयनीकरण यानी नेगेटिव चार्ज बना देना) कर देगी और विद्युत धारा प्रवाहित होने लग जाएगी जो वोल्टमीटर की सुई हिलने से पता लगता है।
  • कैथोड किरणों को अगर जिंक सल्फाइड, कैडमियम सल्फाइड पर डाला जाता है तो यह चमक उत्पन्न करती है।
  • कैथोड किरण फोटोग्राफिक प्लेट को प्रभावित कर सकती है।
  • कैथोड किरणों के पास भेदन क्षमता (पेनिट्रेशन पावर) होती है। यह अल्युमिनियम की पतली पत्ती को पार कर जाती है। लेकिन मोटी धातु के द्वारा इनको रोका जा सकता है।

इलेक्ट्रॉन की खोज से ही मॉडर्न साइंस का आविष्कार हुआ जिसमें ऑर्गेनिक केमिस्ट्री, क्वांटम मैकेनिक्स, क्वांटम फिजिक्स शामिल है। इसके माध्यम से ही थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी, आधुनिक आवर्त सारणी को समझने में सक्षम हो सके है।

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