Albert Einstein जिसको सुनते ही हमें E=mc², theory of relativity in hindi और spacetime जैसे सिद्धांत याद आ जाते हैं। Einstein एक ऐसे व्यक्ति थे, जो सदियों में कभी-कभी जन्म लेते हैं। Albert ने अपने सिद्धांतों के द्वारा दुनिया में तहलका मचा दिया था। यह ही वो व्यक्ति थे, जिन्होंने newton को गलत साबित करते हुए gravitation पर नई theory दी थी। अक्सर पहले वैज्ञानिक experiments करते हैं और उसके आधार पर theory लिखते हैं। लेकिन Albert Einstein एक ऐसे व्यक्ति थे जो अपनी कल्पना में सोचते थे। फिर उसके बाद उस theory के आधार पर experiments को अंजाम देते। आज हम आपको इनके ऐसे ही एक सिद्धांत के बारे में बताऊँगा जो आपकी सोच को चुनौती देगा। आज हम बात करेंगे थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी / Theory of relativity in Hindi

Albert einstein ke siddhant

Theory of relativity की शुरुआत: इस ब्रहमांड के कण-कण में एक चीज है जो constant है वो है गति। ब्रहमांड के कण-कण में गति ब्रहमांड के जन्म से शुरू हो गई थी। लेकिन पृथ्वी पर मौजूद लोगों ने गति को भौतिक तरीके से करीब 300 साल पहले पहचाना। जब दुनिया ने गति के नियमों को एक नए नाम से पहचाना जो था Sir Isaac Newton

Newton के गति के नियमों ने इस दुनिया को समझने का एक नया तरीका दिखाया। Newton ने बताया कि कोई भी वस्तु स्थिर या गति की अवस्था में तब तक रह सकती है। जब तक उस वस्तु पर कोई बाहरी बल न लगाया जाए। किसी भी वस्तु पर लगाया गया बल उसकी गति को बढ़ा भी सकता है और घटा भी सकता है। लोगों ने गति को तो समझा लेकिन अब एक नई समस्या सामने आई कि इस गति का निर्धारण कैसे किया जाए यानी इस गति को कैसे मापा जाए।

न्यूटन के गति नियम

जैसे मान लो कि आप railway platform पर बैठे हो और आपका एक मित्र एक train में बैठा है और वो train 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आपके सामने से गुजरती है। जैसे ही train आपके सामने से गुजरी तो आपने देखा की आपका मित्र भी उस train के साथ 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से जा रहा है। ठीक उसी समय train में बैठा आपका दोस्त देखता है कि ट्रेन में अन्य लोग भी बैठे हैं और वह स्थिर हैं। मतलब train में मौजूद सभी व्यक्तियों की गति जीरो है।

अब इसमें यह समस्या उत्पन्न होती है कि train की गति का माप किस के अनुमान पर निर्धारित किया जाए। train में बैठे व्यक्ति के अनुमान या platform पर मौजूद व्यक्ति के अनुसार। जवाब था कि दोनों अपनी अपनी जगह सही है। किसी भी वस्तु की गति का मान इस बात पर निर्भर करता है कि उसका अनुमान स्थिर हो कर लगाया जा रहा है या गतिशील होकर।

निष्कर्ष

इसका निष्कर्ष यह था कि गति निरपेक्ष (irrespective) नहीं बल्कि सापेक्ष (respective) है। अगर आसान भाषा में कहें तो गति का निर्धारण इस बात पर निर्भर करता है कि वह किस के सापेक्ष है। जैसे पृथ्वी अपनी दुरी पर घूम रही है लेकिन हमें महसूस होता है कि पृथ्वी स्थिर है और हम भी स्थिर हैं। लेकिन अंतरिक्ष से देखने पर पृथ्वी हमें घूमती हुई नजर आएगी। पृथ्वी से सूर्य हमें स्थिर लगता है। लेकिन अगर आकाशगंगा की दृष्टि से देखा जाए तो सूर्य Milkiway Galaxy की परिक्रमा कर रहा है।

17 वीं सदी में भौतिक विज्ञान में relativity का पहला सिद्धांत दिया गया कि स्थिर या एक समान गति की अवस्था में भौतिकी के नियम नहीं बदलेंगे। आसान भाषा में कहें तो platform पर बैठे आप अगर भौतिकी का कोई प्रयोग कर रहे हो और उसी प्रयोग को गतिशील train में बैठा आपका दोस्त भी कर रहा है तो दोनों के परिणाम समान होंगे।

Theory of relativity का जन्म (Origin of theory of relativity) :

Newton के समय से चली आ रही इस classical theory of relativity नामक सिद्धांत को 19वीं सदी में आकर चुनौती मिली। जब मैक्सवेल (maxwell) नामक वैज्ञानिक के सिद्धांतो पर प्रयोग किया गया। तो पाया कि ब्रह्मांड में एक ऐसी भी गति मौजूद है जो किसी के साथ respective नहीं बल्कि irrespective है और उसका माप स्थिर है। वह है प्रकाश की गति जिसका माप 3 लाख किलोमीटर प्रति सेकंड है। Michaelson और Morley नामक वैज्ञानिकों ने यह साबित किया कि प्रकाश की गति किसी भी माध्यम पर निर्भर नहीं करती। अब चाहे आप प्रकाश की गति को स्थिर होकर देखो या किसी तेज गति से चलने वाली train में बैठ कर देखो।

Albert Einstein ne kya khoj ki thi

इसको एक उदाहरण से समझते हैं: मान लो कि आप platform पर बैठे हो और आपका दोस्त 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही ट्रेन में बैठा है। जब आप अपने दोस्त को platform से देखते हो तो आपने देखा किया कि आपका दोस्त 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से जा रहा है। लेकिन अब मान लो की आपका दोस्त train  की गति कि दिशा में 10 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ता है। तो अब आपने देखा कि आपके दोस्त की गति 60 किलोमीटर प्रति घंटा हो गई। क्योंकि आपकी दोस्त की भी गति उस train की गति में जुड़ गई।

अब इस वाक्य को आगे देखते हैं वैसे ऐसा कभी होगा तो नहीं लेकिन फिर भी मान लो की अब train की गति प्रकाश की गति के बराबर है। और प्रकाश की गति से चलती ट्रेन में जब आपका दोस्त ट्रेन की गति की दिशा में प्रकाश की गति से दौड़ता है। ऐसी परिस्थिति में platform से देखने पर आपको आपके दोस्त की गति प्रकाश की गति कि दोगुनी दिखनी चाहिए लेकिन सत्य तो यह है कि आपको अपना दोस्त प्रकाश की गति से ज्यादा हुआ नजर आएगा। प्रकाश की गति absolute है जो कि किसी पर निर्भर नहीं करती है यानी है स्थिर और कभी भी बदलती नहीं है।

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अल्बर्ट आइंस्टीन के आविष्कार

19 वीं सदी का अंत और 20वीं सदी की शुरुआत विज्ञान की दृष्टि से बेहद खास है क्योंकि यह वह दौर था जब phyices में क्रांतिकारी सिद्धांत सम्मिलित हुए हैं। और यही वह दौर था जिसमें Albert Einstein ने physics की दुनिया में अपना योगदान दिया। वह एक ऐसे व्यक्ति थे जिनकी अवधारणा कल्पना में जन्म लेती थी और शौधों द्वारा साबित होती थी। जहां पर आम लोगों की सोच खत्म होती थी वहां से उनकी की सोच शुरू होती।

Albert Einstein ने कल्पना की ऐसा क्या कारण है कि हर स्थिति में प्रकाश की गति हमेशा constant यानी नियत रहती है। उन्होंने सोचा की ऐसी क्या घटना घटेगी जब वह प्रकाश की गति से travel करेंगे। कल्पना करने के साथ-साथ उन्होंने गति के Formula को भी ध्यान में रखा।
उन्होंने अपनी कल्पना में पाया की किसी भी चीज की गति दूरी और समय के अनुपात (proportion)पर निर्भर करती है। अगर प्रकाश की गति constant है इसका मतलब की गति में कोई भी बदलाव नहीं हो रहा है बल्कि  दूरी और समय अपने आप को बदल रहे हैं।

उन्होंने बताया कि प्रकृति अपने fundamental laws को टूटने नहीं देती बल्कि इनका बचाव करती है। और प्रकृति का ऐसा ही एक fundamental law है प्रकाश की गति जो कि 3 लाख किलोमीटर प्रति सेकंड है। जो किसी भी स्थिति में नहीं बदलती और प्रकृति fundamental law यानी प्रकाश की गति को एक समान रखने के लिए space और time को ही बदल देती है। Albert Einstein  का यह concept physics की  दुनिया में तहलका मचाने के लिए तैयार था।

सापेक्षता का सिद्धांत उदाहरण

चलिए Einstein के concept  को आसान भाषा में समझने का प्रयास करते हैं। इसके लिए हम अपने पुराने उदाहरण को लेते है । मान लो कि आपका दोस्त जो प्रकाश की गति से चलने वाली ट्रेन में बैठा है उसके पास एक घड़ी है और आप एक platform पर बैठे हो और आपके पास भी एक घड़ी है। जब आपका दोस्त train में बैठा उस समय आप की घड़ी का समय और आपके दोस्त की घड़ी का समय एक समान है। अब आप platform पर खड़े होकर उस प्रकाश की गति से चलने वाली train को देख रहे हो। जिसमें आपका दोस्त बैठा है आपने देखा कि जो प्रकाश की गति से चलने वाली train थी उसकी लंबाई बहुत कम हो गई है और train में आपके दोस्त के पास जो घडी मौजूद है उसका समय आपकी गाड़ी की समय की अपेक्षा बहुत दीमी रफ्तार से चल रहा है।

इसका कारण है कि प्रकृति अपने fundamental law को टूटने से बचा रही है। इस वजह से train की गति प्रकाश की गति के बराबर रखने के लिए space और time दोनों ही बदल गई यानी train की लंबाई और train में मौजूद घडी का समय दोनों ही बदल गए।

टाइम ट्रेवल

यह घटना तो आपने platform पर खड़े होकर देखी लेकिन वहीं दूसरी ओर जो आपका दोस्त train में बैठा है उसके लिए कोई भी बदलाव नहीं हुआ। मतलब train में बैठा आपका दोस्त महसूस करता है कि train की लंबाई वही है जो पहले थी। और उसके पास जो घडी मौजूद है उसमें समय की रफ्तार में कोई बदलाव नहीं आया है। मतलब आप platform से देख रहे हो कि आपका दोस्त जिस train में बैठा है उसकी लंबाई भी कम हो गई और समय भी धीमा हो गया। लेकिन आपके दोस्त के नजरिए से सब कुछ normal चल रहा है। लेकिन आप दोनों ही अपनी अपनी जगह सही हो यह तो प्रकृति का कमाल है। जिसमें दोनों की नजरियों को बदल दिया।

लेकिन जब एक हफ्ते के सफर के बाद आपका दोस्त train से बाहर निकलेगा तो वह इस दुनिया में बहुत बड़ा बदलाव देखेगा। वो देखेगा उसके पास जो घड़ी थी उसके अनुसार अभी एक हफ्ता ही हुआ है । लेकिन आपकी घड़ी के अनुसार पृथ्वी पर सालों बीत चुके हैं। क्योंकि आपकी घड़ी के मुकाबले आपके दोस्त की घड़ी धीमी चल रही थी आपका दोस्त आपको देखेगा कि आप पहले से बूढ़े हो चुके हो। लेकिन उसकी उम्र पर कोई फर्क नहीं पड़ा इसी को आप अपने दोस्त के लिए भविष्य की दुनिया बोल सकते हो जिसमें वह 1 हफ्ते के सफर के बाद पहुंच गया लेकिन अब वह भविष्य के उस दौर से वापस नहीं लौट सकता।

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special theory of relativity in hindi

Albert Einstein की space और time की इस कल्पना ने क्रांतिकारी concept यानी time travel जैसी अवधारणा को जन्म दिया। इससे पहले लोगों का यही मानना था कि ब्रह्मांड में प्रत्येक जगह पर समय की रफ्तार एक समान है लेकिन Einstein ने बताया कि ब्रह्मांड में प्रत्येक जगह time और space अपने आप को परिस्थिति के अनुसार बदलते रहते हैं।

उन्होंने space और time का यह concept mathematical equations के आधार पर सिद्ध कर दिया था। लेकिन इस पर परीक्षण करना अभी बाकी था। 1977 में नासा ने satellite में कुछ घडीयां लगाकर छोडी जिनका समय पृथ्वी की घड़ी के अनुसार set किया गया था। लेकिन अंत में जाकर satellite की घड़ियों का समय पृथ्वी पर मौजूद घड़ियों से धीमा चल रहा था। हालांकि पृथ्वी की घड़ियों और satellite में लगी गाड़ियों के समय का अंतर बहुत ही मामूली था। लेकिन कहीं ना कहीं Albert Einstein के सिद्धांत की सहायता की।

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हमारे इतना विकसित होने के बावजूद भी हमारे पास ऐसी technology नहीं है जो Einstein के सिद्धांत को साबित कर पाए। क्योंकि उनके सिद्धांत को साबित करने के लिए हमारे पास प्रकाश की गति से चलने वाला Spacecraft होना चाहिए जो कि हमारे लिए अभी असंभव है। 1905 के आसपास एक clerk की हैसियत से काम कर रहे इस इंसान ने अपनी special theory of relativity का पेपर लिखा। लेकिन सदी के इस महान वैज्ञानिक की कल्पना यहीं नहीं रुकी यही वह दौर था जब Einstein ने अपनी theory of relativity in hindi को आगे बढ़ाते हुए एक equation दी जो हमेशा के लिए उनके नाम से जुड़ गई जो है E= mc² इसका मतलब है किसी भी वस्तु के mass को energy में बदला जा सकता है और energy को mass में बदला जा सकता है।

E mc2 hindi

Albert Einstein ने बताया कि mass भी समय की तरह relative है मतलब किसी भी वस्तु की गति बढ़ाने पर उसका mass भी बड़ेगा। वह भी वस्तु के आकार में बदलाव किए बिना। Einstein के इस equation E=mc²  के आधार पर वैज्ञानिकों ने आगे चलकर परमाणु बम (nuclear bomb) का निर्माण किया जिसका इस्तेमाल  world war 2 के दौरान पहली बार हुआ और नागासाकी शहरों का अस्तित्व ही खत्म हो गया। उस समय Albert Einstein को अपनी equation E=mc² देने का बड़ा दुःख हुआ और उन्हे लगा कि इस equation का आधार बनाकर दुरुपयोग हुआ है।

Space और Time absolute नहीं है Einstein ने यह साबित किया। लेकिन उनके दिमाग में अभी भी खलबली मची हुई थी कि space और time accelerated frame में किस तरह से बर्ताव करेंगे। जैसा कि मैंने पहले ही कहा था जिनकी सोच बड़ी होती है उनके कारनामे भी बड़े ही होते हैं।

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