11वीं कक्षा में जो बच्चे साइंस स्ट्रीम को चुनते हैं तो उन्हे तीन नए सब्जेक्ट को गहराई से पढ़ाया जाता है जिसमें केमिस्ट्री, फिजिक्स और मैथमेटिक्स या बायोलॉजी होता है। इसमें से केमिस्ट्री काफी खास सब्जेक्ट माना जाता है जो रासायनिक कंपाउंड्स के बारे में जानकारी प्रदान करता है। दसवीं तक छात्रों ने सिर्फ एक ही केमिस्ट्री पड़ी होती है लेकिन 11वीं में केमिस्ट्री मुख्य तीन भागों में बंट जाती है: फिजिकल केमेस्ट्री, इनॉर्गेनिक केमेस्ट्री और ऑर्गेनिक केमिस्ट्री। जिसमें ऑर्गेनिक केमिस्ट्री बेहद खास होती है जिसमें सिर्फ रासायनिक तत्वों के बारे में ही पढ़ाया जाता है और यह काफी रोचक भी होती है। अगर आप भी 11वीं कक्षा में साइंस स्ट्रीम को चुन रहे हैं तो आपको कार्बनिक रसायन यानी ऑर्गेनिक केमिस्ट्री के बारे में यह बेसिक चीज जरूर पता होनी चाहिए।
आज हम जानेंगे ऑर्गेनिक केमिस्ट्री क्या होता है? साथी ही ऑर्गेनिक केमिस्ट्री के मूलभूत सिद्धांत कौनसे होते हैं जिससे कि आप अपनी 11वीं और 12वीं की केमिस्ट्री को अच्छे से पढ़ सकेंगे। (Basic Organic chemistry in Hindi)
ऑर्गेनिक केमिस्ट्री क्या है – परिचय
शुद्ध हिंदी में ऑर्गेनिक केमिस्ट्री का नाम कार्बनिक रसायन होता है। नाम से पता चल रहा है कि इस केमिस्ट्री में मुख्य तौर पर कार्बन और इससे बनने वाले विभिन्न कंपाउंड्स के बारे में पढ़ा जाता है।
वे सहसंयोजी यौगिक (कुवेलेंट कंपाउंड्स) जिममें C तथा H होते हैं ” हाइड्रोकार्बन ” कहलाते हैं। हाइड्रोकार्बन तथा इसके डेरिवेटिव से मिलकर बनने वाले कंपाउंड्स (यौगिक) को ऑर्गेनिक कंपाउंड्स कहते हैं। डेरिवेटिव यानी जब भी कार्बन का कंपाउंड बनता है तो वह चार मॉलिक्यूल के साथ जुड़ता है जोकि हाइड्रोजन होते हैं लेकिन अगर इनमें से हम एक या एक से ज्यादा हाइड्रोजन को निकाल के अन्य कोई तत्व के मॉलिक्यूल या (अणु) को जोड़ते हैं जैसे ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, X, तो यह सब हाइड्रोकार्बन के डेरिवेटिव कहलाते हैं।
जैसे: CH4, C2 H6 यह सब हाइड्रोकार्बन कहलाते हैं क्योंकि इसमें कार्बन और हाइड्रोजन के मॉलिक्यूल मौजूद है। और अगर हाइड्रोकार्बन के डेरिवेटिव की बात करें तो इसमें आते हैं C6H12O6, CH3OH। जिस विज्ञान के अंतर्गत हम हाइड्रोकार्बन और उनके डेरिवेटिव यानी (व्युत्पन्नों) की पढ़ाई करते हैं वह कार्बनिक रसायन या ऑर्गेनिक केमिस्ट्री कहलाता है।
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यहां पर X का मतलब है ” हैलोजन” यानी जो पीरियोडिक टेबल में 17 नंबर ग्रुप में तत्व (एलिमेंट) आते हैं वह सब हैलोजन कहलाते हैं। इनकी खासियत यह होती है कि इने सिर्फ एक इलेक्ट्रॉन की जरूरत होती है जिससे यह अपना octet पूरा कर सकते हैं और स्थिर हो सकते हैं।
संरचना सूत्र ( स्ट्रक्चरल फॉर्मूला )
इसमें हम कंपाउंड के अंदर एलिमेंट की स्थिति कैसे और कहां पर होगी संकेतों और बोंड द्वारा दिखाते हैं। जैसे CH4 में कार्बन के पास चार इलेक्ट्रॉन होते हैं जो बोंड बनाने के लिए उपलब्ध होते हैं। वैसे ही एक हाइड्रोजन मॉलिक्यूल के पास एक इलेक्ट्रॉन होता है जो बोंड बनता है तो ऐसे में एक कार्बन मॉलिक्यूल के चार इलेक्ट्रॉन अलग-अलग हाइड्रोजन मॉलिक्यूल के साथ बोंड बनाएंगे और जिसे हम इस प्रकार दिखाएंगे
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इसी प्रकार हम आगे देख सकते हैं C2 H6 , CH3 O। अगर CH3 O की बात करें तो इसमें एक कार्बन है जिसमें तीन हाइड्रोजन लगे हुए हैं और साथी ही ऑक्सीजन के पास दो इलेक्ट्रॉन बोंड बनाने के लिए उपलब्ध रहते हैं जिसे हम unpaired electrons कहते हैं जिसमें से ऑक्सीजन का एक इलेक्ट्रॉन कार्बन से बोंड बनाएगा और कार्बन के चार बोंड पूरे हो जाएंगे और ऑक्सीजन का दूसरा एटम हाइड्रोजन से बोंड बनाएगा जिससे हाइड्रोजन के बोंड भी पूरे हो जाएंगे।
सिगमा बॉन्ड और पाई बॉन्ड क्या है?
अगर किसी कंपाउंड में एक बॉन्ड ही है वह सिगमा बॉन्ड होगा। अगर किसी कंपाउंड में दो बॉन्ड है तो उसमें से एक सिग्मा और एक पाई बॉन्ड होगा। अगर किसी कंपाउंड में तीन बॉन्ड है तो उसमें दो पाई और एक सिगमा बॉन्ड होगा।
कार्बन की डिग्री कैसे निकालते हैं?
कार्बन की चार डिग्री हो सकती है: (Basic Organic chemistry in Hindi)
- प्राथमिक कार्बन (प्राइमरी कार्बन) / 1° : वह कार्बन जिसे केवल एक ही कार्बन सीधा जुड़ा हुआ होता है वह प्राथमिक कार्बन कहलाता है।
- द्वितीयक कार्बन (सेकेंडरी कार्बन) / 2° : वे कार्बन जैसे सीधे दो कार्बन परमाणु जुड़े हुए होते हैं।
- तृतीयक कार्बन (टेरिटरी कार्बन) / 3° : वह कार्बन जिसे सीधे तीन C परमाणु जुड़े हुए होते हैं।
- चतुर्थक कार्बन (क्वॉटरनरी कार्बन) / 4° : वह C जिसे सीधे चार C परमाणु कार्बन जुड़े हुए होते हैं।
जैसे नीचे दी गई फोटो में देख सकते हैं जो बाएं तरफ पहले कार्बन है उसकी डिग्री 1° है यानी उससे सीधा एक कार्बन जुड़ा हुआ है। उससे अगले कार्बन की डिग्री 2° है यानी सीधे दो कार्बन जुड़े हुए हैं और उससे अगले कार्बन की डिग्री 3° है जिससे सीधे रूप से तीन कार्बन जुड़े हुए हैं ऐसे ही आप सभी कार्बन की डिग्री निकाल सकते हैं।
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अल्कोहल के प्रकार ( classification of alcohol in organic chemistry Hindi )
कार्बन की तरह अल्कोहल भी तीन प्रकार की होती है:
- प्राथमिक अल्कोहल ( प्रायमरी एल्कोहल) : वे अल्कोहल जिसमें -OH सीधा प्राथमिक कार्बन से जुड़ा हुआ होता है।
- द्वितीय अल्कोहल ( सेकेंडरी अल्कोहल) : इसमें -OH ग्रुप सेकेंडरी कार्बन यानी द्वितीय कार्बन से जुड़ा हुआ होता है।
- तृतीय अल्कोहल ( टर्टियरी एल्कोहल) : वे अल्कोहल जिसमें -OH मॉलिक्यूल तृतीयक कार्बन से जुड़ा हुआ होता है।
नीचे दी की फोटो में आप भाग A में देखिए जिसमें एक ही कार्बन है जब भी एक ही कार्बन हो या फिर एक कार्बन के साथ एक और कार्बन सीधे रूप से जुड़ा हो उसे हम प्राथमिक कार्बन ही मानते हैं -OH मॉलेक्युलिस प्राथमिक कार्बन से जुड़ा हुआ है इसलिए यह प्राथमिक अल्कोहल हुआ। इसी प्रकार भाग b में -OH मॉलिक्यूल जिस कार्बन से जुड़ा है वह द्वितीय कार्बन (2° ) है जिसका अर्थ है कि यह अल्कोहल भी द्वितीयक अल्कोहल होगा।
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इसी प्रकार हम हेलो एल्केन की डिग्री निकाल सकते हैं अगर हेलो एल्केन के एलिमेंट का मॉलेक्युल जिस कार्बन से सीधे रूप से जुड़ा हुआ है और उस कार्बन की डिग्री एक है तो हेलो एल्केन की डिग्री भी एक ही होगी। यानी सीधी भाषा में बात करें तो हेलो एल्केन का एलिमेंट जिस कार्बन से जुड़ा होगा उसकी जो डिग्री होगी वही हेलो लेकिन की डिग्री होगी।
ऐमीन (amines) की डिग्री
ऐमीन की डिग्री कार्बन पर निर्भर नहीं करती बल्कि नाइट्रोजन का मॉलिक्यूल कितने कार्बन से जुड़ा हुआ है; वह ऐमीन की डिग्री कहलाती है। जैसे प्राथमिक ऐमीन में नाइट्रोजन एक कार्बन से सीधा जुड़ा हुआ होता है। वहीं द्वितीय और तृतीय एमाइंस में नाइट्रोजन दो और तीन कार्बन के साथ जुड़ा हुआ होता है।
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जैसे आप ऊपर फोटो में देख सकते हैं एक R नाइट्रोजन से जुड़ा हुआ है। R का यहां मतलब है कार्बन की चेन इसमें कितने भी कार्बन हो सकते हैं दो-तीन या इससे ज्यादा उसे हम R से दिखाते हैं। बस आप इतना याद रखिए R यानी कार्बन की चेन।
ऑर्गेनिक केमिस्ट्री में अल्फा, बीटा, गामा कार्बन क्या होते हैं?
कार्बनिक रसायन में तीन तरह के कार्बन होते हैं अल्फा (α), बीटा (β) और गामा (γ)। क्रियात्मक समूह (फंक्शनल ग्रुप) से जुड़े कार्बन को अल्फा कार्बन कहते हैं तथा उस कार्बन से जुड़े हुए कार्बन को बीटा और गामा कार्बन कहते हैं।
फंक्शनल ग्रुप (क्रियात्मक समूह) क्या होता है- ऑर्गेनिक केमिस्ट्री में H और C को छोड़कर जो अलग से फार्मूला बनाता हुआ दिखाई देगा उसे आप फंक्शनल ग्रुप समझ लीजिए। जैसे यह कुछ फंक्शनल ग्रुप है जो कार्बन के साथ जुड़े हुए दिखाई दे सकते हैं और जो कार्बन के साथ मिलकर अलग-अलग कंपाउंड्स का निर्माण करते हैं: R-OH, R-COOH, R-COO-R’, R-CONH2, R-NH2।
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कार्बनिक अभिक्रिया क्या और कितनी होती हैं?
कार्बनिक अभिक्रिया जिसे इंग्लिश में ऑर्गेनिक रिएक्शन कहते हैं यह वह होती हैं जो दो विभिन्न कार्बन कंपाउंड्स के बीच में होती हैं। यह कार्बन कंपाउंड सिंथेटिक या बायोलॉजिकल हो सकते हैं। हमारे आसपास सभी हो रही रिएक्शंस में ज्यादातर ऑर्गेनिक रिएक्शन होती है।
जिस ऑर्गेनिक रिएक्शन में कार्बन कंपाउंड्स आपस में जुड़ते हैं उसे एस्टेरिफिकेशन (न्यूक्लियोफिलिक एडिशन) कहते हैं। और जहां कार्बन का एक या एक से ज्यादा बोंड टूटता है उसे हाइड्रोलाइसिस या ऑक्सीडेशन कहते हैं। कार्बन की यह रिएक्शंस लेबोरेटरी यह बायोलॉजिकल सिस्टम जैसे माइक्रोऑर्गेनाइज्म, पौधे और जीवित प्राणियों में भी होती है।
कार्बनिक अभिक्रियाएं कई तरह की होती है: (Basic Organic chemistry in Hindi)
- प्रतिस्थापन अथवा निस्ठापन अभिक्रिया ( displacement reaction) : इस तरह की रिएक्शन में एक खास तरह का अणु जो डिस्प्लेसमेंट सीरीज में ऊपर होता है। वो अपने से काम वाले अणु को रिएक्शन से बाहर निकाल कर अपना कंपाउंड बना लेता है।
Zn(s) + CuSO4 (aq) → ZnSO4 (aq) + Cu(s)
- योगात्मक अभिक्रिया (addition reactions): जब दो कंपाउंड आपस में मिलकर एक नया कंपाउंड बनाते हैं इस तरह की रिएक्शंस को एडिशन रिएक्शन कहा जाता है।
C2 H4 + H2 O → C2 H5 OH
- निराकरण/ विलोपन अभिक्रिया ( elimination reaction) : इसमें एक कंपाउंड अपने सबसे सरल तत्व में टूट जाता है जैसे अमोनिया अपने सबसे सरल तत्व नाइट्रोजन और हाइड्रोजन में टूट जाता है जिसकी रिएक्शन आप यहां पर देख सकते हैं।
4NH3 (g) → 2N2 (g) + 6H2 (g)
हमे आशा है की आपको यह आर्टिकल Basic Organic chemistry in Hindi पसंद आया होगा अगर आप ऑर्गेनिक केमिस्ट्री क्या है के बारे में कुछ और जानना चहाते है तो कमेन्ट करके जरूर बातए ।