संघ लोक सेवा आयोगसिविल सेवा परीक्षा का नाम दुनिया में सबसे मुश्किल परीक्षाओं में आता है एंव  यूपीएससी परीक्षा भारत की सबसे मुश्किल परीक्षा है।

आखिर क्यों यूपीएससी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मुश्किल परीक्षा मानी जाती है?  पढ़ाई का विस्तार होने से कैंडिडेट्स के बीच में प्रतियोगिता बढ़ जाती है। यूपीएससी परीक्षा में जटिल पाठ्यक्रम, पेपर चरणों की संख्या, कैंडिडेट के बीच में अधिक प्रतियोगिता के कारण ही (यूपीएससी) सिविल सेवा परीक्षा दुनिया में सबसे मुश्किल परीक्षाओं में से एक है।

यूपीएससी-सिविल सेवा परीक्षा क्या है

सिविल सेवा परीक्षा क्या है ?

यूपीएससी यानी यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन भारत की वह संस्था है जो भारत में अलग-अलग सरकारी भर्तियों के लिए इच्छुक उम्मीदवारों की परीक्षाएं करवाती है। इन्हीं परीक्षाओं में से एक सिविल सेवा परीक्षा ( सीएससी ) है जो यूपीएससी द्वारा हर साल आयोजित की जाती है। यह परीक्षा अलग-अलग सरकारी पदों के लिए करवाई जाती है। जैसे भारतीय पुलिस सेवा  (IPS), भारतीय विदेश सेवा, भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय राजस्व  सेवा (IRS) जैसी  24 पोस्ट पर भर्ती के लिए यह परीक्षा आयोजित की जाती है।


यह परीक्षा साल में एक बार करवाई जाती है जिसमें की लाखों कैंडिडेट हिस्सा लेते हैं लेकिन वैकेंसी सीट कम होने के कारण अधिक गुणवत्ता वाले कैंडिडेट ही उच्च रैंक की पोस्ट पर जा पाते हैं। यूपीएससी की परीक्षा तीन चरणों में होती है। पहले चरण की परीक्षा पास करने के बाद विद्यार्थियों अगले चरण की परीक्षा में बैठ सकते है। आखिरी चरण इंटरव्यू का चरण होता है जिसमें की विद्यार्थी की मानसिकता को परखा जाता है। इंटरव्यू में पास होने वाले विद्यार्थियों को अलग-अलग सेवाओं के लिए नियुक्त किया जाता है।

यूपीएससी-सीएसई के लिए पाठ्यक्रम 

यूपीएससी द्वारा सिविल सेवा परीक्षा का पाठ्यक्रम केवल भारत के ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय घटनाओं को भी शामिल करता है। यूपीएससी केवल भारत के इतिहास पर फोकस नहीं करती बल्कि कैंडिडेट को अंतर्राष्ट्रीय इतिहास की भी जानकारी होनी चाहिए। कैंडिडेट को इन सभी सब्जेक्ट की सारी जानकारी होनी चाहिए: साइंस, आर्ट्स, कॉमर्स, एनवायरमेंटल एजुकेशन, इतिहास, पॉलिटिक्स इत्यादि। यूपीएससी परीक्षा का सिलेबस बहुत ही बड़ा सिलेबस होता है तो इसको पूरा करने के लिए कैंडिडेट को अपनी तैयारी पहले ही शुरू कर देनी चाहिए। इतना जटिल और बड़ा पाठ्यक्रम होने के कारण ही यूपीएससी परीक्षा दुनिया में सबसे कठिन परीक्षाओं में मानी जाती है। 

यूपीएससी परीक्षाओं के प्रकार ( Upsc cse pattern )

लगभग लाखों उम्मीदवारों के साथ हर साल सिविल सेवा परीक्षा आयोजित की जाती है। वे उम्मीदवार जो UPSC-CSE के लिए उपस्थित हो रहे हैं, उन्हें परीक्षाओं के तीन चरणों से गुजरना होता है। वह तीन चरण हैं :

Upsc cse pattern


यूपीएससी प्रीलिम्स : प्रीलिम्स की परीक्षा मई और जून के महीने में करवाई जाती है और जिसका रिजल्ट जून जुलाई के महीने में आ जाता है। यह एक ऑब्जेक्टिव टाइप परीक्षा होती है जिसमें की प्रत्येक प्रश्न के चार उत्तर दिए होते हैं जिसमें से कि एक सही उत्तर को चुनना होता है। यह परीक्षा दो भागों में बंटी होती है। प्रत्येक भाग की परीक्षा 200 अंकों की परीक्षा होती है जिसके लिए आपको 2 घंटों का समय दिया जाएगा। इसी तरह यूपीएससी प्रीलिम्स  400 अंकों का पेपर होता है। कैंडिडेट अपनी इच्छा के अनुसार इंग्लिश और हिंदी चुनकर पेपर दे सकता है।  यूपीएससी प्रीलिम्स cutoff 2019 कुछ इस प्रकार थी :  जनरल- 95,  ओबीसी- 93 , एससी- 81 एसटी- 79 


हालांकि इस परीक्षा के अंक फाइनल कटऑफ में नहीं जुड़ते हैं लेकिन इस परीक्षा को दिए बिना आप अगली चरण की परीक्षा नहीं दे सकते। जो कैंडीडेट्स इस परीक्षा में सफल हो जाते हैं वह अगली चरण की परीक्षा के लिए बैठ सकते हैं जो कि यूपीएससी मेन्स परीक्षा होती है।


मेन्स परीक्षा: यूपीएससी मेन्स की परीक्षा केवल विद्यार्थियों की किताबी पढ़ाई पर केंद्रित नहीं है बल्कि इस परीक्षा में गहराई के विषय में से प्रश्न पूछे जाते हैं। यह परीक्षा 9 पेपरों में बंटी होती है जोकि 1750 अंक की परीक्षा होती है। जोकि निबंध आधारित परीक्षा होती है जिसमें की निबंध आधारित प्रश्न पूछे जाते हैं। अगर कैंडिडेट सिविल सेवा परीक्षा के आखिरी चरण इंटरव्यू में जाना चाहता है तो उससे पहले यह सबसे मुश्किल चरण की परीक्षा होती है जिसमें इन विषयों में से प्रश्न पूछे जाते हैं: अंतर्राष्ट्रीय इतिहास, जियोग्राफी, कानून, करंट अफेयर्स, इत्यादि। 


पेपर-1 और 2 क्वालिफाइंग पेपर होते हैं जिसमें निबंध लेखन शामिल होता है जिसमें विद्यार्थी को सटीक लेखन, पारित होने की समझ, शब्दावली और अनुवाद संबंधी समझ होनी चाहिए। इसके अलावा, पेपर-1 के लिए उम्मीदवार संविधान की 8 वीं अनुसूची में सूचीबद्ध किसी भी उपयुक्त भाषा को चुन सकते हैं। 


पेपर-3 में केवल निबंध लेखन शामिल पेपर होता है। जिसमें दिए गए निबंध विषय में से किसी एक को चुनना होता है।  इसके बाद विद्यार्थी को इसका विश्लेषण करना होगा, मूल विषय को समझना होगा, और विषय के लिए व्यापक, निर्णायक, उपयुक्त रचना करनी होगी।


पेपर 3-7 की परीक्षा भारतीय विरासत संस्कृति, दुनिया, समाज का इतिहास, भूगोल, शासन, संविधान, सामाजिक न्याय, राजनीति, अंतर्राष्ट्रीय संबंध, प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, सुरक्षा, जैव विविधता, पर्यावरण, आपदा प्रबंधन, नैतिकता, अखंडता से संबंधित पर होती है। यूपीएससी मेन्स cutoff 2019 कुछ इस प्रकार थी :  जनरल- 775,  ओबीसी- 735 , एससी- 725 एसटी- 724


साक्षात्कार / Interview :  जो कैंडिडेट मेन्स में सफल हो जाते हैं वह यूपीएससी परीक्षा के आखिरी चरण में पहुंच जाते हैं। यह आखरी चरण इंटरव्यू का चरण होता है जिसमें की विद्यार्थी की पर्सनैलिटी, मानसिकता, सामाजिक सोच को देखा जाता है। यह यूपीएससी परीक्षा का बहुत ही महत्वपूर्ण चरण होता है। यह परीक्षा 275 अंकों की होती है।


इस चरण में विद्यार्थी से वह प्रश्न पूछे जाते हैं जिससे कि पता चल सके कि वह विद्यार्थी समाज को लेकर कितना जागरूक है और समाज के प्रति उसकी क्या सोच है। इसके साथ यह भी देखा जाता है कि विद्यार्थी अपने देश के प्रति कितना समर्पित है। इस आखिरी चरण के बाद सारे मार्क्स को जोड़कर फाइनल मार्क्स तैयार किए जाते हैं।


उन चयन किए गए उम्मीदवारों को उचित प्रशिक्षण दिया जाता है और फिर अलग-अलग स्थानों पर राष्ट्र की सेवा के लिए भेजा जाता है।


जज: जजों का पैनल पूरी तरह से संघ लोक सेवा आयोग से होता है। वे उच्च, योग्य और त्यागी न्यायाधीश होते हैं । जिनको अज्ञात उम्मीदवारों से निपटने का सबसे अच्छा ज्ञान होता है। उम्मीदवारों का इंटरव्यू लेने के लिए एक यूपीएससी अध्यक्ष और चार अन्य यूपीएससी सदस्य होंगे। भारत में नए और नए बीज बोने के लिए सही गुणवत्ता वाले उम्मीदवारों का चयन करना उनकी जिम्मेदारी है। वे न तो धन शक्ति में हैं और न ही राजनीति और वह राष्ट्र के लिए सबसे कठिन जिम्मेदारी लेते हैं।

शैक्षणिक योग्यता ( Upsc CSE exam eligibility )

विद्यार्थी के पास यूपीएससी-सीएसई परीक्षा देने के लिए  ग्रेजुएशन की डिग्री होना जरूरी है। अगर किसी विद्यार्थी न किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से विज्ञान,आटर्स या किसी भी विषय से ग्रेजुएशन की डिग्री पूरी कर रखी है तो वह विद्यार्थी यूपीएससी परीक्षा देने के लिए योग्य है।

सिविल सेवा परीक्षा उम्र सीमा और प्रयास ( Age limit for upsc cse )

सिविल सेवा परीक्षा में बैठने वाले उम्मीदवारों के पास सीमित प्रयास और आयु सीमा होती है।  और अगर उम्मीदवार सीमित प्रयासों में असफल रह जाते हैं तब वह यूपीएससी-सीएसई परीक्षा नहीं दे सकते है। 


सामान्य श्रेणी / General के उम्मीदवार 21 वर्ष की आयु के बाद  परीक्षा में बैठ सकते हैं लेकिन 32 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। जनरल श्रेणी के उम्मीदवार 6 बार यूपीएससी- सीएसई परीक्षा का प्रयास कर सकते हैं। 


ओबीसी/ Obc के उम्मीदवार 9 बार प्रयास कर सकते हैं। अन्य पिछड़ी जातियों (OBC) के लिए, उम्मीदवारों की आयु न्यूनतम 21 वर्ष होनी चाहिए और 35 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। 


अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (SC/ST)  के उम्मीदवार को न्यूनतम 21 वर्ष की आयु होनी चाहिए और   37 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। यदि उम्मीदवार 37 वर्ष से अधिक आयु के नहीं हैं तब वह जितनी बार चाहे परीक्षा दे सकते हैं कयोंकि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए कोई प्रयास सीमा नहीं है।


एक सफल यूपीएससी-सीएसई आंकाशी विद्यार्थी होने के लिए आपको सिर्फ किताबी ज्ञान ही नहीं लेना है बल्कि राष्ट्र के निर्माण के लिए सकारात्मक और समझदार सुझाव सीखने होंगे । यूपीएससी परीक्षा में आपको बार-बार परखा जाएगा कि आप राष्ट्र के लिए कितना समर्पित हैं और समाज की मुश्किलें आपके लिए क्या मायने रखती है। अगर आपने राष्ट्रभाव है और समाज सेवा में यकीन रखते हैं तब आप UPSC-CSE परीक्षा के लिए जा सकते हैं।

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