क्षारक हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं; वह पदार्थ दो स्वाद में कड़वे या तीखे होते हैं तथा लाल लिटमस पेपर को नीला कर देते हैं। जहां पेट
कक्षा आठवीं में बच्चे थोड़ा-थोड़ा अम्ल और क्षारक के बारे में पढ़ना शुरू कर देते हैं। लेकिन दसवीं कक्षा में यह मुख्य चैप्टर के रूप में आता है जिसमें बताया
परमाणु संरचना के पिछले लेख में जाना था कि बोर का परमाणु मॉडल क्या था और कैसे इसने रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की कमियों को दूर किया। आज के इस
दो परमाणुओं के बीच में किसी कारणवश्यक जुड़ाव (आकर्षण) होने से रासायनिक बंध का निर्माण होता है। रासायनिक बंध बनने के दो मुख्य कारण थे पहला अष्टक पूरा करना और
कक्षा ग्यारहवीं की केमिस्ट्री काफी रोचक होती है क्योंकि इसमें हम विभिन्न नए विषयों को जानते हैं जो हमारा कैमिस्ट्री को पढ़ने का नजरिया बदल देते हैं। शुरुआती विषयों में
11वीं कक्षा के रसायन विज्ञान का यह तीसरा विषय है जो की तत्वों के वर्गीकरण पर केंद्रित है। पिछले भाग में हमने परमाणु संरचना जिसमें मुख्य तौर पर इलेक्ट्रॉन की
जब दो या दो से अधिक पदार्थ मिलाकर एक या एक से अधिक नए गुणधर्म वाले पदार्थ का निर्माण करते हैं यह रासायनिक अभिक्रिया कहलाती है। उदाहरण के लिए हाइड्रोजन
रदरफोर्ड के अल्फा किरण प्रयोग के बाद कुछ सालों तक इस परमाणु संरचना मॉडल को माना गया। लेकिन समय के साथ जब नई चीजों की खोज हुई वह रदरफोर्ड के
1897 के समय तक परमाणु की संरचना समझने के लिए डाल्टन एटॉमिक थ्योरी का इस्तेमाल किया जा रहा था। डाल्टन थ्योरी को लगभग डेढ़ सौ साल तक माना गया लेकिन
11वीं कक्षा में केमिस्ट्री के मुख्य सब्जेक्ट में परमाणु संरचना होती है। जिसमें अलग-अलग एटॉमिक मॉडल को पढ़ाना होता है। पहले हमने थॉमसन के परमाणु मॉडल की बात की थी।