शरीर के हर एक अंग की अपनी जरूरत और इस्तेमाल होता है। उसी तरह किडनी भी शरीर का एक महत्वपूर्ण भाग है जो खून को फिल्टर करती है और शरीर की गंदगी को बाहर निकालती है। यह टॉक्सिक,अधिक मात्रा में साल्ट, वेस्ट प्रोडक्ट्स को खून में से फिल्टर करके पेशाब के जरिए बाहर निकलती है। साथ ही किडनी ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल करती है और मिनरल्स जैसे: कैल्शियम, पोटेशियम, सोडियम इत्यादि को बैलेंस रखती है।

तो अगर इस महत्वपूर्ण शरीर के अंग में कोई भी परेशानी या बीमारी आती है तो इसके इलाज के लिए नेफ्रोलॉजी डॉक्टर के पास जाना पड़ता है जो किडनी की फील्ड में विशेषज्ञता रखते हैं। आज हम जानेंगे कि नेफ्रोलॉजी क्या होता है? और नेफ्रोलॉजिस्ट कैसे बने? इसके लिए बेस्ट कॉलेज, फीस, सैलरी इत्यादि।

नेफ्रोलॉजी क्या होता है?

नेफ्रोलॉजी एक मेडिकल फील्ड है जो किडनी (गुर्दे) की बीमारी और उनके इलाज से संबंधित होती है। नेफ्रोलॉजी में शामिल होता है किडनी के स्ट्रक्चर, फंक्शन और उनसे जुड़ी बीमारियों का इलाज करना।

नेफ्रोलॉजिस्ट क्या है?

नेफ्रोलॉजी मेडिकल में स्पेशलाइज फील्ड है जो किडनी की पढ़ाई से संबंधित होती है। और जो लोग इस फील्ड में पढ़ाई करते हैं और डॉक्टर बनते हैं उन्हें नेफ्रोलॉजिस्ट कहा जाता है। नेफ्रोलॉजिस्ट विभिन्न प्रकार डायग्नोसिस टेस्ट के माध्यम से मरीज की बीमारी का पता लगाते हैं जिसमें ब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट, इमेजिंग टेस्ट (अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, एमआरआई) और किडनी बायपास शामिल होते हैं।

अगर किसी परिस्थिति में मरीज की किडनी ट्रांसप्लांट करने की जरूरत पड़ती है तो नेफ्रोलॉजिस्ट इस सर्जरी में शामिल होते हैं जो स्क्रीनिंग और सर्जरी के बाद देखभाल का काम करते हैं।

नेफ्रोलॉजिस्ट के काम

नेफ्रोलॉजिस्ट का काम किडनी जुड़ी विभिन्न बीमारियों का इलाज करना होता है। यह कुछ किडनी से जुड़ी प्रमुख बीमारियां होती है जिसका इलाज नेफ्रोलॉजिस्ट द्वारा किया जाता है।

  • किडनी स्टोन: यह सबसे सामान्य बीमारी है जिसमें गुर्दे में पथरी बन जाती है जिसे किडनी स्टोन कहा जाता है। इसमें एकदम बहुत दर्द होता है और पेशाब में भी दिक्कत आती है। जिसे दवाइयों और खास परिस्थितियों में ऑपरेशन द्वारा निकाला जाता है।
  • हाइपरटेंशन: यानी हाई ब्लड प्रेशर जब किडनी में ब्लड प्रेशर को कंट्रोल नहीं कर पाती और यह बढ़ जाता है इसे हाइपरटेंशन कहा जाता है।
  • यूरिनरी ट्रैक्ट इनफेक्शन (UTIs): इसमें यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन हो जाता है जिससे कई तरह की बीमारियां होने का खतरा रहता है।
  • क्रॉनिक किडनी डिजीज (CKD): इसमें किडनी के काम एकदम से बंद होने लगते हैं। इसमें किडनी टॉक्सिंस और अधिक मात्रा के तरल पदार्थ को अच्छे से फिल्टर नहीं कर पाती है।
  • एक्यूट किडनी इंजरी (AKI): इसमें किसी वजह से किडनी का काम एकदम से रुक जाता है इससे इंफेक्शन,  डिहाइड्रेशन हो सकता है।
  • ग्लौमेरउलोनेफ्राइटिस: इसमें किडनी के फिल्टर में सूजन आ जाती है जिसे इन्फ्लेमेशन कहा जाता है।
  • पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज (PKD): इसमें जेनेटिक तौर पर किडनी में सूजन होती है जिससे किडनी का आकार बढ़ने लगता है।

नेफ्रोलॉजिस्ट कैसे बने? (Nephrologist kaise bane)

एक प्रोफेशनल नेफ्रोलॉजिस्ट बनने के लिए आपको बैचलर, मास्टर कोर्स  के साथ ट्रेनिंग, प्रैक्टिकल और एक्सपीरियंस प्राप्त करना होगा। यह कुछ स्टेप्स है जिसके माध्यम से आप नेफ्रोलॉजी की फील्ड में कैरियर बना सकते हैं।

  • 12वीं कक्षा पास:  नेफ्रोलॉजी की फील्ड में कदम रखने से पहले सबसे पहले आपको 12वीं कक्षा न्यूनतम 50% अंक के साथ पास करनी होगी। 12वीं कक्षा में आपके पास भी PCB (फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी) सब्जेक्ट होनी जरूरी है।
  • नीट यूजी: यह एक नेशनल लेवल एमबीबीएस एंट्रेंस एग्जाम है इसके माध्यम से आप एमबीबीएस और बीडीएस के कोर्स में विभिन्न सरकारी और प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन ले सकते हैं। ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस एम्स में एडमिशन लेने के लिए भी neet-ug का एग्जाम देना पड़ता है।
  • बैचलर डिग्री: मेडिकल की फील्ड में सबसे लोकप्रिय बैचलर डिग्री एमबीबीएस की होती है जो कि 5 साल की होती है जिसमें 1 साल इंटर्नशिप रहता है। एमबीबीएस एक जनरल मेडिकल स्टडी होती है जिसके बाद आप स्पेशलाइजेशन यानी MD सकते हैं।
  • नीट पीजी: 4 साल की एमबीबीएस और 1 साल की इंटरशिप पूरी करने के बाद आप neet-pg का एग्जाम दे। इस एग्जाम के माध्यम से आप पोस्टग्रेजुएट मेडिकल कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं जैसे मास्टर ऑफ मेडिसिन (MD).
  • मास्टर ऑफ मेडिसिन: MD नेफ्रोलॉजी के माध्यम से आप इस फील्ड में विशेषज्ञता हासिल करते हैं। यह पोस्टग्रेजुएट मेडिकल कोर्स जो कि 3 साल का होता है। यह एक तरह का स्पेशलाइज्ड कोर्स होता है जो आप एमबीबीएस के बाद कर सकते हैं।
  • डॉक्टर ऑफ़ मेडिसिन:  DM नेफ्रोलॉजी डॉक्टर लेवल कोर्स है जोकि 3 साल का होता है। यह कोर्स आप पोस्ट ग्रैजुएट डिग्री यानी एमडी इन नेफ्रोलॉजी के बाद कर सकते हैं।
  • लाइसेंस प्राप्त करें: DM की पढ़ाई करने के बाद आप अपने  राज्य की स्टेट मेडिकल काउंसिल और सेंट्रल लेवल पर मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) में रजिस्टर करें और लाइसेंस प्राप्त करें। जिसके बाद आप किसी प्राइवेट यहां सरकारी हॉस्पिटल में नेफ्रोलॉजी की प्रैक्टिस शुरू कर सकते हैं।
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नेफ्रोलॉजी टॉप कॉलेज

  • ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज (AIIMS), न्यू दिल्ली
  • पोस्टग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (PGIMER), चंडीगढ़
  • कृष्ण मेडिकल कॉलेज (CMC), वेल्लोर
  • संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस, (SGPGIMS)
  • मद्रास मेडिकल कॉलेज, चेन्नई
  • किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज, लखनऊ
  • ओसमानिया मेडिकल कॉलेज, हैदराबाद
  • जवाहरलाल इंस्टीट्यूट आफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च *JIPMER), पांडिचेरी

नेफ्रोलॉजी के बाद क्या करें?

नेफ्रोलॉजी के बाद मेडिकल की फील्ड में विभिन्न करियर ऑप्शन हो सकते हैं। इनमें से यह कुछ प्रमुख ऑप्शन है:

  • क्लिनिकल प्रैक्टिस: नेफ्रोलॉजी पढ़ाई पूरी करने के बाद आप हॉस्पिटल, किडनी केयर सेंटर और प्राइवेट क्लीनिक में नेफ्रोलॉजिस्ट की जॉब कर सकते हैं। इसमें किडनी से जुड़ी बीमारियां का इलाज, किडनी ट्रांसप्लांट, इत्यादि शामिल रहता है। जिसमें आपकी शुरुआती सैलरी 300000 से लेकर 800000 प्रति वर्ष तक हो सकती है।
  • एकेडमिक (टीचिंग): अगर आप टीचिंग में रुचि रखते हैं तो आप मेडिकल कॉलेज और यूनिवर्सिटीज में प्रोफेसर के तौर पर जॉब कर सकते हैं। साथ ही आप रिसर्च इंस्टिट्यूट में रिसर्च प्रोजेक्ट का भी हिस्सा बन सकते हैं।
  • ट्रांसप्लांटेशन नेफ्रोलॉजिस्ट: इसमें आपको किडनी ट्रांसप्लांट  और उनकी देखभाल करनी होती है। इस पद पर रहकर आप ट्रांसपेरेंट सेंटर में काम कर सकते हैं।
  • पीडेट्रिक नेफ्रोलॉजिस्ट: यह नेफ्रोलॉजिस्ट छोटे बच्चों कि किडनी से जुड़ी बीमारी  से संबंधित होते हैं।
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