पैसे के बिना हम अपने जीवन की कल्पना नहीं कर सकते या फिर ऐसे कहें की पैसे के बिना हमारा जीवन अधूरा है। ऐसे में कमाए गए पैसे को मैनेज करना काफी जरूरी हो जाता है इन्हीं सब के बीच में अपने फाइनेंसियल मैनेजमेंट के बारे में सुना हुआ होगा और आपके मन में यह सवाल आता होगा कि फाइनेंसियल मैनेजमेंट क्या है?

फाइनेंसियल मैनेजमेंट दो तरह की होती है एक पर्सनल और दूसरी कोऑपरेटिव बिजनेस फाइनेंसियल मैनेजमेंट। आज के इस लेख में हम मुख्य तौर पर बिजनेस फाइनेंसियल मैनेजमेंट क्या है इन हिंदी? के बारे में जानेंगे साथ ही जाने के कि अगर आप अपना कैरियर फाइनेंशियल मैनेजमेंट के क्षेत्र में बनाना चाहते हैं तो ऐसे कौन से कोर्स है जो आपको करनी चाहिए। सबसे पहले जानते है Finance kya hai in hindi?

फाइनेंस क्या है?

फाइनेंस एक व्यापक क्षेत्र है जिसमें विभिन्न प्रकार के फाइनेंसियल विषयों के बारे में पढ़ाया जाता है जैसे: पर्सनल सेविंग, इन्वेस्टमेंट एंड मैनेजमेंट। फाइनेंस का मुख्य उद्देश्य किसी व्यक्ति, व्यापार या बिजनेस के लिए पैसे का प्रबंधक और उपयोग से संबंधित होता है। आगे चलकर फाइनेंस में विभिन्न तरह के सब्जेक्ट होते हैं जैसे फाइनेंसियल मैनेजमेंट, इन्वेस्टमेंट, फंक्शन, मार्केटिंग,फाइनेंशियल मार्केट, फाइनेंशियल प्लैनिंग, इंटरनेशनल फाइनेंस, फाइनेंस एनालिसिस इत्यादि तो चलिए हम बात करते हैं Financial management kya hai in hindi?

फाइनेंसियल मैनेजमेंट क्या है?

किसी कंपनी या बिजनेस के पैसों का हिसाब, इन्वेस्टमेंट  नियंत्रण, वित्तीय खरीद, उपयोग, वित्तीय गतिविधियों का मैनेजमेंट करना ही फाइनेंसियल मैनेजमेंट के अंतर्गत आता है। किसी भी ऑर्गेनाइजेशन के लिए पूंजी काफी महत्वपूर्ण होती है और इसे मैनेज करना ही फाइनेंसियल मैनेजमेंट कहलाता है।

वित्तीय प्रबंधन के कार्य

  • प्लानिंग:  इसमें शामिल होता है कि आप कंपनियां बिजनेस के पैसे को कहां इन्वेस्ट करेंगे और उसे कैसे इस्तेमाल करेंगे ताकि कंपनी को उससे प्रॉफिट हो सके। आप ऐसी योजनाएं बनाते हैं जिससे आज के दौर में पैसा लगाने से भविष्य में प्रॉफिट मिल सके।
  • मैनेजमेंट: इसमें यह देखना होता है कि आप बिजनेस द्वारा कमाए गए पैसे को कितना सुरक्षित रखें और कितना निवेश के लिए डालें। इसमें आपको रिक्स मैनेजमेंट भी करना होता है जैसे अगर आप जरा कम निवेश पर ज्यादा रिटर्न पाते हैं तो आपका मैनेजमेंट अच्छा होगा।
  • प्रॉपर कैश फ्लो मैनेजमेंट:  इसमें यह देखा जाता है कि आप का कैश फ्लो किस तरफ है जैसे आप कुछ ज्यादा खर्चा यानी एक्सपेंस तो नहीं कर रहे या फिर आप उस चीज में पैसे की बचत कर रहे हैं जिसमें आगे चलकर आपको घाटा होगा तो कैश फ्लो मैनेजमेंट कॉफी महत्वपूर्ण होता है।
  • फाइनेंशियल कंट्रोल: जब भी आप फाइनैंशल प्लानिंग करते हैं तो आपको अपने फाइनैंशल गतिविधियों पर नियंत्रण रखना होगा वरना ऐसा ना हो कि आप अपनी फाइनैंशल प्लानिंग से ज्यादा खर्च कर रहे हो जिससे आपका पूरा फाइनेंसियल मैनेजमेंट फेल हो जाएगा।

फाइनेंसियल मैनेजमेंट के फायदे

आखिर क्यों हर एक बड़ी कंपनी में फाइनेंस मैनेजमेंट डिपार्टमेंट होता है यह कुछ मुख्य पॉइंट है जिसके कारण फाइनेंसियल मैनेजमेंट किसी भी बिजनेस के लिए आवश्यक होता है।

  • इन्फ्लेशन(inflation):  जैसा कि हर साल महंगाई दर बढ़ती जाती है जिसे इन्फ्लेशन कहते हैं। ऐसे में इन्फ्लेशन के साथ चलने के लिए फाइनेंसियल मैनेजमेंट का मजबूत होना काफी जरूरी होता है ताकि आप अपने बिजनेस प्रॉफिट को उसी पर्सेंट से बड़ा सके जिस पर्सेंट से इन्फ्लेशन बढ़ रहा है।
  • लोंग टर्म गोल:  हर एक बिजनेस के कुछ भविष्य के गोल होते होते हैं जैसे विदेश में विस्तार, नए क्षेत्रों में बिजनेस की स्थापना इत्यादि और इन सब के लिए पूंजी काफी महत्वपूर्ण होती है जिसके लिए फाइनेंसियल मैनेजमेंट की जरूरत पड़ती है ताकि कंपनी अपने चल रहे बिजनेस से मुनाफा कमा के अन्य जगह इन्वेस्ट करें कर सके।
  • इमरजेंसी फंड: ज्यादा इन्फ्लेशन बढ़ने से या मंदी आने से बिजनेस के डूबने का खतरा रहता है तो ऐसे में इमरजेंसी फंड की आवश्यकता रहती है जो कि उस समय बिजनेस को सहायता प्रदान कर सके; फाइनेंसियल मैनेजमेंट के माध्यम से ही आप इमरजेंसी फंड बनाते हैं।
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Risk and Return in financial management in hindi

वित्तीय प्रबंधन में “जोखिम और लाभ” (Risk and Return) दो महत्वपूर्ण अवधारणाएँ होती हैं जिनका मतलब है निवेश की संभावित जोखिम और उससे प्राप्त होने वाले लाभ का संबंध।

  1. जोखिम (Risk): जोखिम से तात्पर्य विनिवेश के परिणामस्वरूप होने वाले आय की अनिश्चितता से होता है। यह विनिवेश के प्राप्त आय में अपेक्षित और वास्तविक आय में विचलन की संभावना होती है। बाजार की परिस्थितियाँ, आर्थिक घटक, समाजिक और राजनीतिक परिवर्तन, व्यापारिक मामूले, और कंपनी के विशिष्ट घटक, इन सभी कारकों से जोखिम संबंधित हो सकता है।
  2. लाभ (Return): लाभ विनिवेश से प्राप्त होने वाली आय या मुनाफे को कहते हैं। यह निवेशकों की प्रतिक्रिया होती है जो उनके पैसे को निवेश में लगाने पर प्राप्त होती है। लाभ सामान्यतः पूंजी की वृद्धि (निवेश की मूलधन में वृद्धि) या आय (जैसे कि वित्तीय स्थानीयता या ब्याज) के रूप में प्राप्त होता है।

जोखिम और लाभ का संबंध निम्नलिखित रूपों में समर्पित हो सकता है:

  • ज्यादा जोखिम, ज्यादा लाभ: सामान्यतः, जो निवेश ज्यादा जोखिम वाले होते हैं, वे सामान्यतः उसी मापदंड से अधिक लाभ प्रदान कर सकते हैं। इसका कारण होता है कि निवेशकों को अतिरिक्त जोखिम के लिए मुआवजा चाहिए होता है। उदाहरण स्वरूप, नवाचारी कंपनियों के शेयरों में या परिवर्तनशील उद्योगों में ज्यादा जोखिम होता है।
  • कम जोखिम, कम लाभ: उन निवेशों में जो सुरक्षित माने जाते हैं, उनमें आमतौर पर कम लाभ होता है। ये निवेश अक्सर अधिक स्थिर और पूर्वानुमान्यनीय आय स्रोतों के साथ जुड़े होते हैं। उदाहरण स्वरूप, सरकारी बॉन्ड और अन्य नियमित आय सुरक्षितियाँ इसमें शामिल होती हैं।

यह महत्वपूर्ण है कि जोखिम और लाभ के संबंध में कोई नियमित या स्थायी सूत्र नहीं होता है। कुछ निवेश उचित जोखिम लेकर भी अच्छा लाभ प्रदान करते हैं, जबकि कुछ निवेश ज्यादा जोखिम लेने के बावजूद लाभ कम प्रदान करते हैं। इसलिए, निवेश के फैसलों को समझते समय जोखिम और लाभ के संबंध का ध्यान देना महत्वपूर्ण होता है।

FAQs

वित्तीय प्रबंधन के उद्देश्य


वित्तीय प्रबंधन के उद्देश्यों का उद्देश्य एक संगठन या व्यक्ति के वित्तीय संसाधनों को प्रबंधित करना और उनका सही तरीके से उपयोग करना होता है। यह सार्वजनिक, निजी और व्यक्तिगत स्तरों पर हो सकते हैं और इसका उद्देश्य विभिन्न हो सकता है, जैसे कि व्यवसायिक संगठनों में लाभ की वृद्धि, व्यक्तिगत वित्त प्रबंधन में सुरक्षा और वित्तीय लक्ष्यों की प्राप्ति।

वित्तीय प्रबंधन की सीमाएं

वित्तीय प्रबंधन की सीमाएं संगठनों और व्यक्तिगत वित्तीय प्रबंधन में महत्वपूर्ण होती हैं। इन सीमाओं के माध्यम से वित्तीय प्रबंधन के प्रक्रियाओं को नियंत्रित किया जा सकता है और वित्तीय निर्णयों को सुनिश्चित रूप से लिया जा सकता है। इन सीमाओं में संगठन के वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता, निवेश की प्रक्रिया, लेवरेज का उपयोग, और कर नियम शामिल हो सकते हैं।

वित्तीय प्रबंधन की विशेषताएं

वित्तीय प्रबंधन में वित्तीय योजना का महत्वपूर्ण योगदान होता है, जिसमें आय, व्यय, और निवेश के लक्ष्य स्पष्ट रूप से परिभाषित होते हैं। वित्तीय प्रबंधन विशेषज्ञता प्रदान करता है जिसमें वित्तीय निरीक्षण, वित्तीय नियोजन, और वित्तीय यात्रा निगरानी शामिल हैं। यह प्रक्रिया संगठन के वित्तीय स्वास्थ्य की निगरानी करती है और वित्तीय निर्णयों को सुनिश्चित रूप से लेती है। कर प्रबंधन भी इसमें महत्वपूर्ण होता है, जो कर योग्यता और कर बचत की देखभाल की जाने वाली प्रक्रिया को संगठन के लिए अद्भुत बनाता है। इसके अलावा, वित्तीय रिपोर्टिंग का उपयोग संगठन के वित्तीय स्थिति और प्रदर्शन की निरीक्षण के लिए किया जाता है और संगठन को वित्तीय प्रगति के साथ आगे बढ़ने में मदद करता है।

वित्तीय प्रबंधन की प्रकृति

वित्तीय प्रबंधन की प्रकृति वित्तीय निर्णयों को प्रबंधित करने की प्रक्रिया का निरूपण करती है और वित्तीय संसाधनों का सही तरीके से व्यवस्थित करने का तरीका होता है। इसकी प्रकृति कई प्रमुख प्रावधानों और गतिविधियों को शामिल करती है, जो हैं: निवेश प्रबंधन, वित्तीय योजना, वित्तीय नियोजन, कर प्रबंधन

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2 Comments

  • Amanpal
    Amanpal
    September 4, 2023 at 5:51 pm

    Dear sir, financial management me sbse asha course konsa hai

    Reply

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