पैथोलॉजी जिसे रोग विज्ञान कहा जाता है इसमें विभिन्न तरह की बीमारियों का अध्ययन किया जाता है और हर तरह की बीमारी शरीर पर गंदा असर डालती है लेकिन अगर सही समय पर इन बीमारियों का पता चल सके तो इनसे आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है। मेडिकल साइंस की विभिन्न शाखों का काम दवाइयां पर रिसर्च करना होता है उनमें से एक है पैथोलॉजी। तो आज हम जानेंगे कि पैथोलॉजी क्या होता है? और पैथोलॉजी के प्रकार?

पैथोलॉजी क्या होता है?

पैथोलॉजी रोग निदान के लिए सबसे प्रारंभिक प्रक्रिया होती है जिससे डॉक्टर को रोग समझने में सहायता प्राप्त होती है। लगभग सभी तरह के मेडिकल निर्णय पैथोलॉजिकल टेस्ट के माध्यम से लिए जाते हैं। हॉट डायबिटीज कैंसर, इन्फेक्शन और इनफर्टिलिटी जैसी मेडिकल परिस्थितियों में बीमारी की पहचान के लिए पैथोलॉजी काफी महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इसमें बॉडी सेल्स, टिशु और फ्लूइड यूरिन टेस्ट खून टेस्ट इत्यादि के माध्यम से बीमारी का पता लगाया जाता है।

पैथोलॉजी किसका अध्ययन है?

छात्र बच्चे पैथोलॉजी और जीव विज्ञान को एक ही समझते हैं लेकिन पैथोलॉजी रोगों और विकारों के कारण प्रभाव का वैज्ञानिक अध्ययन है। इसमें विभिन्न प्रकार के रोग शरीर पर क्या प्रभाव डालते हैं इसके बारे में अध्ययन किया जाता है और साथ ही इनके उपचार में सहायक नई तकनीक का अध्ययन किया जाता है। शरीर में से तरल पदार्थ जैसे खून, मूत्र और विभिन्न अंगों की कोशिकाओं का अध्ययन किया जाता है।

पैथोलॉजी का महत्व

मेडिकल साइंस और रोग निदान में पैथोलॉजी का महत्व काफी ज्यादा होता है क्योंकि इसके माध्यम से ही मरीज की चिकित्सा में उपयुक्त सहायता मिलती है। पैथोलॉजी के विभिन्न तरह के टेस्ट के माध्यम से ही डॉक्टर मरीज के लिए सही इलाज का निर्णय लेता है। यह कुछ पैथोलॉजी के प्रमुख महत्व है:

  • रोग निदान: पैथोलॉजी का मुख्य महत्व रोग निदान में आता है जिससे पैथोलॉजी की विभिन्न शाखों से जैसे: फॉरेंसिक, क्लीनिकल, ऑटोनॉमिकल के माध्यम से मरीज की बीमारी का पता लगाया जाता है जिससे डॉक्टर को इलाज करने में सहायता प्राप्त होती है।
  • मेडिकल रिसर्च: पैथोलॉजिकल चिकित्सा रिसर्च के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है क्योंकि वातावरण के दूषित होने के कारण हर दिन नई बीमारियां सामने आती है जिनका इलाज ढूंढने के लिए बीमारी के व्यवहार को समझाना होता है।
  • रोगों की समझ: पैथोलॉजी के माध्यम से हम विभिन्न तरह के रोगों की प्रक्रियाओं, स्थितियां और संबंधित बदलावों की समझ प्राप्त कर सकते हैं जिससे कि हमें उसे रोग से लड़ने में सहायता मिलती है।

पैथोलॉजी के प्रकार

पैथोलॉजी काफी व्यापक क्षेत्र है जो की विभिन्न प्रकार में बटी हुई है जिसमें से यह कुछ मुख्य प्रकार है:

  • एनाटॉमिकल पैथोलॉजी (सर्जिकल पैथोलॉजी) : इस मेडिकल शाखा में बीमारियों के कारण शरीर में बदलाव को पढ़ा जाता है इसमें विशेष रूप से टिशूज और अंग का अध्ययन शामिल रहता है। सर्जरी के दौरान निकाले गए अंग और टिशूज के बाद शरीर पर कौन से प्रभाव पड़ते हैं यह सब सर्जिकल पैथोलॉजी के अंतर्गत आता है।
  • क्लीनिकल पैथोलॉजी (लैबोरेट्री पैथोलॉजी): इसमें शरीर के फ्लूइड यानी ब्लड और यूरिन के टेस्ट लिए जाते हैं जिसके माध्यम से विभिन्न तरह की बीमारियों का पता लगाया जा सकता है। यह पैथोलॉजी की शाखा लैबोरेट्री से जुड़ी होती है।
  • फॉरेंसिक पैथोलॉजी: यह पैथोलॉजी की शाखा मौत के मामलों और करण के बारे में जांच करती है जिसमें पोस्टमार्टम, अचानक मौत के कारण इत्यादि शामिल रहता है। यह पैथोलॉजिस्ट किसी लीगल इंस्टिट्यूट के साथ काम करते हैं और इनका योगदान अधिकतर न्यायिक और पुलिस इन्वेस्टिगेशन में होता है।
  • साइटोपैथोलॉजी: इस शाखा में मरीज के शरीर से निकले हुए सेल्स यानी कोशिकाओं का अध्ययन करना होता है। इसमें विशेष रूप से शरीर के विभिन्न अंगों की कोशिकाओं का अध्ययन करना होता है। इसके लिए साइटोपैथोलॉजिस्ट शरीर के फ्लूइड जैसे रक्त और मूत्र में से सेल्स को प्राप्त करके उनका माइक्रोस्कोप द्वारा अध्ययन करते हैं।
  • न्यूरोपैथोलॉजी: इस पैथोलॉजी की शाखा में नसों और नर्वस सिस्टम जिसमे दिमाग और रीड की हड्डी की नसों के बारे में जांच करना शामिल होता है। इसके माध्यम से ब्रेन ट्यूमर, ब्रेन कैंसर और नर्वस सिस्टम से जुड़ी बीमारियों का अध्ययन करना होता है।
  • डर्मेटोपैथोलॉजी: इस मेडिकल फील्ड में त्वचा से संबंधित रोगों का अध्ययन किया जाता है इसमें त्वचा के सेल्स और विभिन्न तरह के नमूनों के माध्यम से वातावरण और सूक्ष्म जीवों का त्वचा पर क्या प्रभाव होता है का अध्ययन किया जाता है। इस शाखा की मदद से स्किन कैंसर, चर्म रोग और त्वचा संबंधित अन्य रोगों की पढ़ाई की जाती है।
  • हेमैटोपैथोलॉजी: इस शाखा में रक्त, हड्डी और मज्जा से संबंधित रोगों का अध्ययन किया जाता है। इसमें खून से संबंधित सभी तरह की बीमारियों का अध्ययन किया जाता है जैसे खून की कमी, ब्लड कैंसर, बोन कैंसर इत्यादि। हेमैटोपैथोलॉजिस्ट खून और हड्डी मज्जा यानी बोन मैरो के सैंपल्स का अध्ययन करते हैं।

पैथोलॉजी का उद्देश्य

मेडिकल की विभिन्न शाखाएं होती है और हर शाख का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति को स्वस्थ जीवन देने का होता है। पैथोलॉजी का मुख्य उद्देश्य विभिन्न प्रकार की बीमारियों की संरचना, शरीर पर होने वाले प्रभाव और उनके बचाव से जुड़ा होता है। पैथोलॉजिस्ट लैबोरेट्रीज ,माइक्रोस्कोपिक लैब में काम करते हैं। पैथोलॉजी के उद्देश्य है :

  • रोग पहचान: पैथोलॉजी विभिन्न वैज्ञानिक उपकरण और टेस्टों के माध्यम से रोग की पहचान करता है और इसके उपयुक्त इलाज के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
  • मेडिकल टेक्निक: रोग संरचना और इसके प्रभाव जानने के बाद पैथोलॉजिस्ट मेडिकल साइंस में रिसर्च के माध्यम से नई तकनीक का आविष्कार करते हैं जिससे कि रोग का उपचार किया जा सके।
  • रोग पूर्वानुमान: पैथोलॉजिस्ट अपनी बुद्धि के अनुसार भविष्य में नई बीमारियों का पूर्वानुमान करते हैं। इसमें वातावरण को देखकर संभावित बीमारियों के पल्पने के बारे में बताया जाता है जिससे कि आने वाले समय में बीमारियों से बचा जा सके।

पैथोलॉजिस्ट कैसे बने?

पैथोलॉजी क्या है? और यह कितने प्रकार की होती है यह सब जानकारी लेने के बाद अगर आपका भी मन पैथोलॉजी की फील्ड में करियर बनाने का है तो आप दिए गए स्टेप्स के माध्यम से एक सफल पैथोलॉजिस्ट बन सकते हैं।

मेडिकल कॉलेज एडमिशन

12वीं कक्षा अच्छे अंक से पास करने के बाद आप किसी मेडिकल कॉलेज में अपने मनपसंद पैथोलॉजी क्षेत्र में एडमिशन ले। इसके लिए आप नेशनल लेवल एंट्रेंस एग्जाम भी दे सकते हैं जिससे कि आपको एक अच्छे और प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिलने में सहायता प्राप्त होगी।

भारत में पैथोलॉजिस्ट बनने के लिए आपको एमबीबीएस जो कि साढे चार साल का एकेडमिक कोर्स होता है जिसके बाद 1 साल के इंटर्नशिप करनी होगी। सरकारी कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए आपको NEET-UG का एग्जाम पास करना होगा जिसके लिए 12वीं कक्षा फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी सब्जेक्ट से पास करनी होगी।

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पोस्ट ग्रैजुएट इन मेडिकल फील्ड

एमबीबीएस जो की एक बैचलर डिग्री कोर्स है करने के बाद आपको पैथोलॉजी की फील्ड में पोस्ट ग्रैजुएट डिग्री प्राप्त करनी होगी जैसे कि एमडी ” डॉक्टर ऑफ मेडिसिन इन पैथोलॉजी “कोर्स कर सकते हैं जो की 3 साल का कोर्स होता है। इसके लिए आपको NEET-PG एग्जामिनेशन देना होगा। अगर आप पोस्ट ग्रैजुएट डिग्री नहीं करना चाहते तो आप बैचलर्स के बाद डिप्लोमा इन पैथोलॉजी कोर्स कर सकते हैं।

बीएससी कोर्स

NEET-UG एग्जाम के माध्यम से मेडिकल कॉलेज से MBBS करना आसान नहीं है क्योंकि यह सबसे कठिन एग्जाम होता है। और अगर आप 8 से 9 साल एमबीबीएस और एमडी की पढ़ाई में नहीं लगाना चाहते तो आप बीएससी के माध्यम से विभिन्न तरह के कोर्स कर सकते हैं जैसे:

  • बीएससी पैथोलॉजी
  • बैचलर आफ मेडिकल लैबोरेट्री टेक्निक्स
  • बैचलर ऑफ़ ऑडियोलॉजी एंड स्पीच पैथोलॉजी
  • डिप्लोमा इन पैथोलॉजी
  • बीएससी इन फॉरेंसिक साइंस
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