आयनीकरण की परिभाषा: आयनिक यौगिको या आयनिक पदार्थ का अपने आयनों में टूटना ही आयनीकरण की क्रिया होती है। उदाहरण के लिए NaOH को जब पानी में डालते हैं तो वह अपने आयनों में टूट जाता है जो कि इस प्रकार होता है:
NaOH (सोडियम हाइड्रोक्साइड) -> Na+ + OH–
जब किसी पदार्थ को जलीय विलियन में घोला जाता है तो वह अपने अवयव आयनो में ( + धनायन / – ॠणायन) में टूट जाता है। अवयव आयनो यानी कोई यौगिक जिन आयनों से मिलकर बना होता है। जितने भी एसिड (अमल) , बेस (क्षार) और साल्ट होते हैं वह सब आयनाइजेशन में भाग लेते हैं।
अरेनियस के अनुसार आयनीकरण
अमल (एसिड) एक ऐसा अणु है जो अपने जलीय विलियन में हाइड्रोजन आयन (H+) तथा एक ॠणावेशित आयन में विभाजित हो जाता है।
H2SO4 = 2H+ + SO4 2-
क्षार (बेस) एक ऐसा अणु है जो अपने जलीय विलियन में हाइड्रोक्साइड आयन (OH-) तथा एक धनायन में विभाजित हो जाता है।
Ca(OH)2 = Ca2+ + 2OH–
आयनाइजेशन के व्यवहार को समझने के लिए कई प्रयास किए गए। स्वीडन के एक बहुत प्रसिद्ध वैज्ञानिक आनिर्यस ने यह सुझाया की आयनिक यौगिक जलीय विलियन में अपने अवयव आयनो वे विभाजित हो जाते हैं और यही आयन विद्युत प्रवाह का कारण बनते हैं।
अमल और क्षार के जलीय विलयन के कारण भी विद्युत का चलन होता है। जो यह दर्शाता है कि अम्ल और क्षार का आयनीकरण होता है। इसे समझने के लिए एक एक्टिविटी करते हैं एक जग में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल लेकर चित्र में दिखाएं अनुसार परिपथ में व्यवस्थित करते हैं।
परिपथ पूरा होने के बाद लगा हुआ बल्ब जगने लगता है। जिससे यह निष्कर्ष निकलता है अम्लीय और क्षारीय पदार्थ जलीय विलियन में अपने आयनो में टूट जाते हैं और विद्युत का चालन करते हैं।
आयन (ion) क्या होता है?
आनिर्यस वैज्ञानिक ने अमल और क्षार के गुणों को हाइड्रोजन आयन (H+) और हाइड्रोक्साइड आयन (OH–) के बनने के आधार पर समझाया। आयन ऐसे परमाणु या अनु है जिसमें इलेक्ट्रोन और प्रोटॉन की संख्या आसमान होती है; इससे आयन में विद्युत आवेश होता है। आयनीकरण मुख्य दो बातों पर निर्भर करता है पहले पदार्थ की विलियन में सान्द्रता और दूसरा आयनो में वियोजित होने की क्षमता।
यदि इलेक्ट्रॉन की संख्या प्रोटॉन की संख्या से अधिक होती है तो आयन में ऋणात्मक आवेश होता है और उसे ॠणायन (Anion) कहते हैं। और अगर इलेक्ट्रॉन की संख्या प्रोटॉन की संख्या से कम होती है तो आयन में धनात्मक आवेश होता है और इसे धनायन (Cation) कहते हैं।
क्या अम्ल केवल जलीय विलियन में ही आयनन उत्पन्न करते हैं?
नहीं, अम्ल जलीय विलयन के अलावा भी आयनन उत्पन्न कर सकते हैं। अम्ल एक विशेष प्रकार के यौगिक हैं जो हाइड्रोजन आयन (H⁺) को उत्पन्न करने की क्षमता रखते हैं। जब कोई यौगिक अम्ल बनाता है, तो यह एक जलीय विलयन के साथ एक समय के लिए विनामूल्य हो जाता है। अम्ल के उदाहरणों में, सामान्यत: कार्बॉक्सिलिक अम्लों (जैसे कि सिट्रिक एसिड और लैक्टिक एसिड) और मिनरल अम्ल (जैसे कि सल्फ्यूरिक एसिड और हाइड्रोक्लोरिक एसिड) शामिल होते हैं।
दुर्लभ अम्ल और क्षार के अनु का आंशिक आयन होता है। दुर्लभ अमल जैसे: कार्बनिक अम्ल, एसिटिक अम्ल। दुर्लभ क्षार जैसे कैल्शियम हाइड्रोक्साइड, मैग्निशियम हाइड्रोक्साइड।
आयन के आधार पर अम्ल के प्रकार
- प्रबल अम्ल: इस प्रकार के अमल में अनु पूर्ण रूप से आयनित होते हैं। जैसे HCl पूर्ण रूप से अपने आयन H+ और Cl– में टूट जाता है। इसके अन्य उदाहरण है HNO3 , H2SO4।
- दुर्लभ अम्ल: यह वह अमल होते हैं विलियन में पूर्ण रूप से अपने आयन में नहीं टूटते है। जैसे CH3COOH को पानी में डालने से कुछ CH3COOH पूर्ण रूप से CH3COO- और H+ में टूट जाते हैं और बचे हुए ऐसे ही रहते हैं।अन्य उदाहरण है HCOOH, HF।
आयन के आधार पर क्षार के प्रकार
- प्रबल क्षार: वह बेस होते हैं जो पूर्ण रूप से अपने आयन में टूट कर आयनित हो जाते हैं। उदाहरण के लिए NaOH को पानी में डालने से यह पूर्ण रूप से Na+ और OH– आयन में टूट जाता है। अन्य उदाहरण है KOH, RbOH, CsOH।
- दुर्लभ क्षार: बेस जो पूर्ण रूप से अपने आयन में नहीं टूटते उदाहरण के लिए NH4OH को पानी में डालने से यह कुछ NH4+ और OH- में टूटता है। अन्य उदाहरण है: Fe(OH)2, Al(OH)3, Pb(OH)2।