1897 के समय तक परमाणु की संरचना समझने के लिए डाल्टन एटॉमिक थ्योरी का इस्तेमाल किया जा रहा था। डाल्टन थ्योरी को लगभग डेढ़ सौ साल तक माना गया लेकिन जेजे थॉमसन और अन्य भौतिक वैज्ञानिक के कोई प्रयोग डाल्टन की थ्योरी को गलत साबित कर रहे थे। इस थ्योरी को गलत साबित करके जो नई थ्योरी पेश की गई वह थॉमसन की परमाणु संरचना थ्योरी थी जिसके बारे में आज हम बात करेंगे की थॉमसन का परमाणु मॉडल क्या है? और इसके गुण और दोष क्या है।

डाल्टन परमाणु सिद्धार्थ के मुताबिक इस दुनिया में सबसे छोटा कण परमाणु ही होता है जिसको ओर हिस्सों में नहीं तोड़ जा सकता है। लेकिन जेजे थॉमसन और विलियम्स क्रुक्स के कैथोड किरण प्रयोग से यह साबित हो रहा था कि परमाणु से भी छोटे कण मौजूद है। जेजे थॉमसन ने विसर्जन नली (वैक्यूम ट्यूब) के जरिए इलेक्ट्रॉन की खोज की और डाल्टन एटॉमिक थ्योरी को फेल कर दिया। इसके बाद थॉमसन ने अपना परमाणु मॉडल दिया।

क्योंकि यह साबित हो चुका था कि परमाणु को तोड़ा जा सकता है और इसके अंदर भी कण मौजूद है जो की इलेक्ट्रॉन और प्रोटोन है। लेकिन यह परमाणु के अंदर कहां पर मौजूद है; इन सवालों का जवाब देने के लिए अलग-अलग परमाणु संरचना मॉडल बनने लगे जिसमें से सबसे पहला मॉडल थॉमसन का परमाणु मॉडल था।

थॉमसन का परमाणु मॉडल क्या है?

इस मॉडल के अनुसार परमाणु एक धनावेशित गोला है; जिसके अंदर धसें हुए इलेक्ट्रॉन है। इसे समझने के लिए उन्होंने तरबूजे का उदाहरण लिया जैसे उसमें जो लाल भाग होता है वह धनावेश है और उसके अंदर जो काले बीज है वह इलेक्ट्रॉन को दर्शाते हैं। इसी कारण इस मॉडल को प्लम-पुडिंग मॉडल भी कहा जाता है।

थॉमसन ने यह भी बताया कि परमाणु के अंदर जितना धनात्मक आवेश है उतना ही ऋणात्मक आवेश होता है। यानी अगर कोई परमाणु उदासीन है तो उसमें धनावेश और ऋणावेश की संख्या बराबर होगी। किसी भी परमाणु का कुल आवेश जीरो होता है यानी कि परमाणु विद्युत उदासीन (इलेक्ट्रिकली न्यूट्रल) है।

e‐ = p±

सन् 1858 में जेजे थॉमसन ने परमाणु को 10‐⁸ त्रिज्या का एक ठोस गोला माना जिसमें धनावेश स्थित है। और इन धनावेशित ठोस गोले में ॠणावेशित इलेक्ट्रोंनस धंसे हुए होते हैं। यह ॠणावेशित इलेक्ट्रोंनस परमाणु के धनावेश को संतुलित करते हैं।

थॉमसन मॉडल के गुण: इस मॉडल ने बताया कि परमाणु विद्युत उदासीन होता है जो कि आज भी सच है। कोई भी परमाणु हमेशा इलेक्ट्रिकल न्यूट्रल रहता है।

थॉमसन मॉडल के दोष: इस मॉडल की पुष्टि किसी भी प्रयोग द्वारा नहीं की जा सकी। जिससे थॉमसन का यह परमाणु मॉडल अस्वीकार कर दिया गया। और बाद में न्यूट्रॉन की भी खोज हुई और इस मॉडल में न्यूट्रॉन के बारे में कुछ नहीं बताया गया था। यह रुदेरफोर्ड के अल्फा किरण परयोग को भी साबित नहीं कर पाया था।

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