11वीं कक्षा में केमिस्ट्री के मुख्य सब्जेक्ट में परमाणु संरचना होती है। जिसमें अलग-अलग एटॉमिक मॉडल को पढ़ाना होता है। पहले हमने थॉमसन के परमाणु मॉडल की बात की थी। आज हम बात करेंगे रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल क्या है? परीक्षा में इस विषय से जरूर प्रश्न पूछा जाता है। रदरफोर्ड मॉडल ने नाभिक की खोज की थी तो आज इस लेख में जाने के की रदरफोर्ड ने नाभिक की खोज कैसे की?
पहले डेल्टा एटॉमिक थ्योरी ने यह कहा था कि परमाणु अविभाजित कण है जिसे ओर नहीं तोड़ा जा सकता है। लेकिन जे.जे थॉमसन ने कैथोड किरणों की खोज की जिससे यह साबित हुआ कि परमाणु से भी छोटे कण मजूद है। यह छोटे कण सकारात्मक (प्रोटॉन) और नकारात्मक (इलेक्ट्रोन) चार्ज के साथ आते हैं। और अलग-अलग तत्वों के परमाणु की संख्या अलग-अलग होती है। तो अभी यह सवाल उठकर आया कि परमाणु का स्ट्रक्चर कैसा होना चाहिए? इसे समझिने के लिए अलग-अलग थ्योरी सामने आई।
जेजे थॉमसन एटॉमिक मॉडल: में कहा गया कि परमाणु एक तरबूजा है जिसमें इलेक्ट्रोन तरबूजे के बीज के तरह पडें हुए हैं और सारा द्रव्य मास पूरे परमाणु में बिखरा हुआ है। इस मॉडल के मुताबिक इसकी त्रिज्या 10-⁸ cm या 10-¹⁰ होगी।
सन् 1898 जेजे थॉमसन दे बताया कि परमाणु एक गोलाकार आकृति जिसमें धनावेश समान रूप से वितरित है। जिसमें इलेक्ट्रोन बीच-बीच में पड़े हुए हैं और इलेक्ट्रोन और प्रोटॉन की संख्या बराबर होती है। थॉमसन के इस परमाणु मॉडल के माध्यम से हमें बहुत सारे तथ्यों का स्पष्टीकरण मिला। जैसे:
- परमाणु का द्रव्यमान बराबर मात्रा में फैला हुआ है।
- किसी भी तत्व के परमाणु में इलेक्ट्रोन और प्रोटॉन की संख्या बराबर है जिससे कि वह न्यूट्रल (विद्युत उदासीनता) रहता है।
लेकिन यह रदरफोर्ड के अल्फा किरण प्रयोग के परिमाण की व्याख्या नहीं कर सका और यह मॉडल फेल हो गया।
रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल की व्याख्या
इस मॉडल का केंद्र अल्फा कणों का प्रयोग है जो की रदरफोर्ड द्वारा 1911 में किया गया था। जिसमें उन्होंने अल्फा कणों को एक बहुत ही पतली सोने की पत्ती से गुजरा था और इनकी गति और व्यवहार को देखा था। इनमें से कुछ अल्फा कण सीधे चले गए और कुछ टकराकर इधर-उधर चले गए और बहुत ही कम टकराकर वापस आ गए।
रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल चित्र:
![रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल क्या है? rutherford ka parmanu model](https://sciencehindi.in/wp-content/uploads/2023/12/20231214_160540-1024x537.jpg)
रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की विशेषताएं
रदरफोर्ड ने अल्फा कणों के एक स्रोत को लैड के ब्लॉक में रखा और उच्च ऊर्जा युक्त काणों को एक सिलट के माध्यम से गुजरा गया जिससे कि एक अल्फा कणों की सीधी धारा उत्पन्न हो सके। इसके बाद इन कणों की बौछार पतले स्वर्ण पत्र पर की जाती है। स्वर्ण पत्र के चारों ओर जिंक सल्फाइड का प्रतिद्वीप्त परदा या फोटोग्राफी फिल्म अवस्थित किया जाता है। जिससे जब भी अल्फा कण परदे पर टकराए तो प्रकाश की फ्लैश उस बिंदु पर प्रकट हो जाए।
रदरफोर्ड परमाणु मॉडल के अवलोकन
- अधिकांश अल्फा कण (लगभग 99%) स्वर्ण पत्र से बीना विचलित हुए सीधा निकल जाते हैं। जिससे यह साबित होता है कि परमाणु का लगभग सारा हिस्सा खाली है।
- कुछ अल्फा कण विचलित हो जाते हैं जो यह दर्शाता है कि परमाणु के अंदर कोई पॉजिटिव चार्ज मौजूद है। क्योंकि अल्फा पार्टिकल खुद पॉजिटिव चार्ज कण होते हैं। जिससे कि कुछ अल्फा कण अंदर वाले पॉजिटिव चार्ज से विचलित होकर इधर-उधर चले गए।
- बहुत ही कम कण (लगभग 20,000 में एक काण) वापस लौट आते हैं। जो यह दर्शाता है कि परमाणु के अंदर कोई भारी चीज है जो की बहुत ही कम जगह में सिमटी हुई है जिससे टकराने के बाद काण वापस आ जाते हैं।
रदरफोर्ड परमाणु मॉडल का निष्कर्ष
- जैसा कि अधिकांश अल्फा कण सीधा निकल गए और अविचलित रहे तो इससे यह साबित होगा कि परमाणु का अधिकांश स्थान खोखला या खाली होता है।
- कुछ कण विचलित हो जाते हैं यानी परमाणु के अंदर छोटा धनावेशित अधिक द्रव्यमान युक्त भाग है जिसके कारण अल्फा कण विचलित हो जाता है।
- बहुत ही कम अल्फा कण में अधिक विचलन देखने को मिला जो टकराकर वापस लौट आए। और यह अल्फा कण खुद ही बहुत भारी होते हैं यानी अंदर कोई इससे ज्यादा भारी बहुत ही छोटा भाग होगा। जो कि परमाणु के कुल त्रिज्या से भी बहुत ही छोटा होगा। रदरफोर्ड ने इस भाग को नाभिक ( न्यूक्लियस) का नाम दिया। और परमाणु की त्रिज्या 10-¹⁰ m तथा नाभिक की त्रिज्या 10-¹⁵ m बताई। यानी नाभिक की त्रिज्या से एक लाख गुना ज्यादा बड़ी त्रिज्या परमाणु की होती है। नाभिक का आकार बहुत ही ज्यादा छोटा होता है जिसमें परमाणु का सारा द्रव्यमान समाया होता है।
- रदरफोर्ड ने यह भी बताया कि इलेक्ट्रॉन रुका हुआ नहीं है और नाभिक के चारों ओर चक्कर लगा रहा है। क्योंकि अगर वह इलेक्ट्रॉन को रुक मान लेते तो नाभिक और इलेक्ट्रॉन के विपरीत आवेश होने के कारण इनमें कूलाॅम बल के कारण आकर्षण होगा और इलेक्ट्रॉन नाभिक में चला जाएगा और अंत में इससे टकरा जाएगा जिससे रदरफोर्ड का पूरा परमाणु मॉडल आवरणीय हो जाएगा।
रदरफोर्ड का नाभिकीय परमाणु मॉडल
परमाणु का पूरा द्रव्यमान तथा संपूर्ण धनावेश इसके केंद्र पर स्थित होगा जिसे नाभिक (न्यूक्लियस) कहते हैं। और परमाणु की आकार की तुलना में नाभिक का आकार अत्यंत छोटा होता है जो की 10-¹⁵ मीटर होता है। विभिन्न तत्वों के परमाणुओं के नाभिक में भिन्न-भिन्न नाभिकीय आवेश होता है।
नाभिक चारों ओर से ॠणावेशित इलेक्ट्रोंनों से गिरा होता है।और इलेक्ट्रोन स्थिर नहीं होते बल्कि सभी इलेक्ट्रोंन नाभिक की गोल चक्कर में परिक्रमा करते होंगे। ठीक उसी प्रकार जैसे पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा कर रही है। इलेक्ट्रॉन वह नाभिक एक दूसरे से विद्युत-आकर्षण बल द्वारा बंधे रहते हैं।
अगर इलेक्ट्रॉन रुका हुआ होता तो कूलाॅम बल के कारण यह नाभिक में ही गिर जाता जोकि इस मॉडल के अनुसार संभव नहीं है। तो इलेक्ट्रोन वृताकार कक्षाओं (orbits) में चक्कर लगा रहा है। भौतिक वैज्ञानिक मैक्सवेल के अनुसार जब भी कोई त्वरित आवेश (गति वाला आवेश) होगा वह विकिरण (रेडिएशन) यानी ऊर्जा का उत्सर्जन करेगा।
अगर रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल में देखे तो इलेक्ट्रोन नाभिक के चारों ओर चक्कर लगा रहा है यानी इलेक्ट्रॉन के पास त्वरण ( एक्सीलरेशन या गति) होगी ; तो यानी वह त्वरित आवेश है। मैक्सवेल के अनुसार यह ऊर्जा का उत्सर्जन करेगा; जिससे कि इसकी ऊर्जा में कमी आती जाएगी। अंत में नाभिक के ऊपर गिर जाएगा और परमाणु का अंत हो जाएगा लेकिन ऐसा हो नहीं सकता है। तो रदरफोर्ड परमाणु के स्थायित्व की व्याख्या करने में असफल रहे थे।
इसके अलावा अगर मान ले की इलेक्ट्रॉन लगातार ऊर्जा विसर्जन कर रहा है तो उस ऊर्जा से जो स्पेक्ट्रम बनेगा वह सतक्त (continuous) बनेगा। लेकिन जब प्रयोग के द्वारा देखा गया तो यह स्पेक्ट्रम नहीं बन रहा था बल्कि बीच में धब्बे आ रहे थे। जो यह दर्शाता था कि इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा उत्सर्जन समान रूप से नहीं है। बल्कि यह कभी ऊर्जा उत्सर्जन कर रहा है और कभी नहीं। तो रदरफोर्ड का मॉडल लाइन स्पेक्ट्रम या असतक्त को समझाने में विफल रहा था। यह इस मॉडल की असफलता के कारण बने।
रदरफोर्ड मॉडल के दोष
इलेक्ट्रॉन एक आवेशित कण होने के कारण मैक्सवेल के विद्युत चुंबकीय सिद्धांत अनुसार वह विद्युत चुंबकीय विकरण का उत्सर्जन करेगा तथा उसका पथ संकुचित होता जाएगा और नाभिक में गिर जाएगा। इस प्रकार रदरफोर्ड का नाभिकीय मॉडल सौरमंडल के समान संभव नहीं है। इस प्रकार परमाणु अस्थाई होगा और 10-⁸ सेकंड तक ही स्थाई रहेगा।
- अगर कोई कण लगातार गति कर रहा है तो वह विद्युतीय चुंबकीय तरंगे निकलेगा जिससे कि उसकी ऊर्जा धीरे-धीरे खत्म होती जाएगी और अंत में वह रुक जाएगा।
- तो रदरफोर्ड परमाणु नाभिक मॉडल के अनुसार इलेक्ट्रॉन लगातार नाभिक की परिक्रमा कर रहा है और यह विद्युत आकर्षण से बंधा हुआ है। जिससे यह लगातार विद्युतीयव चुंबकीय तिरंगे निकाल रहा होगा और धीरे-धीरे इसकी ऊर्जा कम हो रही होगी और अंत में इसे नाभिक के ऊपर गिर जाना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं होता है और ना ही रदरफोर्ड इसकी कोई पुष्टि कर पाए।
- यह मॉडल परमाणुओं की इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के बारे में नहीं बता सका।
इलेक्ट्रॉन की खोज से ही मॉडर्न साइंस का आविष्कार हुआ जिसमें ऑर्गेनिक केमिस्ट्री, क्वांटम मैकेनिक्स, क्वांटम फिजिक्स शामिल है। इसके माध्यम से ही थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी, आधुनिक आवर्त सारणी को समझने में सक्षम हो सके है।